Page 10 - आवास ध्वनि
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         और बोललर्लां क शब्द शलावमल िैं। अत: आज की हिदी भलाषला   ‘एटलस’ शब्द हिदी कला ि िोते हुए भी हिदी कला अर्िला िो गर्ला
         दषुनिर्ला की सबसे समृद्ध भलाषलाओं में से एक िै। आर्को ववहदत िै   िै। िक्शों की नकतलाब को एटलस किते िैं। इसकी उत्पशत्त की
                                                                                              ै
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         नक भलारत दश वष्य 1947 में ववदशी आक्रलांतलाओं से आजलाद हुआ।   कथला बड़ी ववशचरि िै। ‘एटलस’ एक दत् र् थला, शजसकला िलाम
                                                                                                          षु
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         भलारतीर् गणरलाज्य की स्लार्िला हुई। भलारत दषुनिर्ला कला सबसे   र्िलािी र्ौरलालणक कथलाओं में वमलतला िै। कथलाओं क मतलावबक
                                                                                                       े
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         बड़ला लोकतलांहरिक दश बिला। भलारतीर् संववधलाि क अिषुच्द में   ‘एटलस’ उि खम्भों कला रक्षक थला शजस र्र स्वग्य नटकला िै। िक्शे
                                                       े
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         343 (1) में उल्ख नकर्ला गर्ला िै नक दविलागरी ललहर् में ललखी   की र्षुस्क क ललए इसक िलाम क प्रर्ोग में प्रशसद्ध भूगोलवेत्तला
                                        े
                                                                                   े
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         जलािे वलाली हिदी िी संघ सरकलार की रलाजभलाषला िोगी। इसक   जलाि मरकटर (1512-1596) कला िलाथ िै। उन्होंिे अर्िे िक्शों की
         अललावला, संववधलाि की 8वीं अिषुसूची में भलारत गणरलाज्य की 22   नकतलाब क कवर र्र एक िोटो लगवलाई थी शजसमें एक दयि
                                                                       े
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         भलारतीर् भलाषलाओं को आशधकलाररक भलाषलाओं क रूर् में सूचीबद्ध   िे अर्िे कधों र्र वववि को उठला ललर्ला थला। उसक िीचे एटलस
                                             े
                                                                      ं
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         नकर्ला िै। इससे र्ि स्वत: शसद्ध िोतला िै नक हिदी भलाषला ि कवल   शब्द छर्ला थला। उसी को लेकर िक्श की र्षुस्कों क ललए र्ि
                                                                                            ें
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         संघ सरकलार की रलाजभलाषला िै बब्कि 14 रलाज्यों की भी रलाजभलाषला   शब्द प्रचललत िो गर्ला और उस शब्द कला प्रर्ोग प्रलार्ः िक्शों की
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         िै। वैसे भलारत दश में 121 भलाषलाए और 270 मलारिभलाषलाए बोली   नकतलाब क अथ्य में िी िोतला िै।
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                                                                      े
         जलाती िैं। र्िलां र्ि उल्ख करिला उतिला भी प्रलासंवगक िोगला नक   हिदी भलाषला िे अर्िला ववकलास िी अिेक दशी और ववदशी भलाषलाअों
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                                                                                              े
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         हिदी दषुनिर्ला की तीसरी सबसे ज्यलादला बोली जलािे वलाली भलाषला   और बोललर्ों क शब्दों को बड़ र्ैमलािे र्र अर्िलािे से नकर्ला िै।
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                                                                           े
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         िै। इसक अललावला हिदी िमलारे दश की सबसे ज्यलादला लोगों द्लारला   शब्दों कला ववस्लार भलाषला को तलाकतवर और लंबे समर् तक जीिे
                                  े
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         बोली जलािे वलाली भलाषला िै और र्ि दश की संर्क भलाषला भी िै।   क सलाथ िी लोकहप्रर् भी बिलातला िै। हिदी में उत्पशत्त की दृहटि से
                                                                े
                                                                                             ं
         तो आइए आर्को बतलाते िैं नक कसे ध्वनि, स्वरूर्, रंग, व्यशक्त   शब्दों क 4 भेद नकए गए िैं। र्े भेद तत्सम, तद्भव, दशज और
                                   ै
                                                                                                         े
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         िलाम, स्लाि िलाम, कलार््य आहद क आधलार र्र शब्द जन्मते र्ला बिते   ववदशज किललाते िैं। ववदशी जलावतर्ों क संर्क से उिकी भलाषला
                                                                                                    ्य
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                    ैं
         िैं। हिदी में ‘सिो’ उस बनिर्लाि र्ला गंजी को किते िैं शजसमें बलाि   क बहुत से शब्द हिदी में इस्मलाल नकए जलािे लगे िैं। ऐसे शब्द
             ं
                                                                े
                                                                              ं
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                                ैं
         र्ला आस् तीि ििीं िोती िै। सिो मूलत: एक र्िलवलाि कला िलाम   ववदशी र्ला ववदशज किललाते िैं। तदिषुसलार अग्जी, उदू, अरबी,
                                                                                                    े
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         थला, शजसिे र्िली बलार इस प्रकलार कला बनिर्लाि र्ििला थला। बलाद   िलारसी क ऐसे अिेक शब्द हिदी में आए और इसमें रम गए िैं।
                                                                                      ं
                                                                      े
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         में उस र्िलवलाि क िलाम र्र िी इस ववशेष प्रकलार क बनिर्लाि   अग्रेजरी- आमतौर र्र अग्जी दषुनिर्लाभर में बोली और समझी जलािे
                                                                                  े
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         कला िलाम चल र्ड़ला। जैसे भलारत क र्व्य प्रधलािमंरिी जवलािर ललाल   वलाली भलाषला िै। अग्जी क कॉलेज, र्शसल, रेनिर्ो, टेलीववजि,
                                                                            ं
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         ििरू क िलाम र्र ििरू जैकट और मलाििीर् प्रधलािमंरिी श्ी िरेन्द्   िॉक्टर, नटकट, मशीि, कम्प्टर, शसगरेट, सलाइनकल और स्टेशि
               े
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         मोदी क िलाम र्र मोदी कतला्य कला चलि भलारत में खलासला प्रशसद्ध िै।   जैसे असंख् शब्द अब हिदी भलाषला को समृद्ध कर रिे िैं।
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         सिो तो मर गर्ला लेनकि उसकला िलाम इस रूर् में अमर िै। गजरलात
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                                                        ें
         क  प्रशसद्ध  शिर  सूरत  को  कभी  र्षुत्यगलाललर्ों  िे  अर्िला  कद्र   फारसरी- आर्को जलािकर िैरलािी िोगी नक िमलारी भलाषला कला िलाम
                                                                ं
         बिलार्ला थला। र्षुत्यगलाली सूरत से िी भलारत क कई क्षेरिों में खलािे की   हिदी भी िलारसी कला शब्द िै। सलांस्लानिक तौर र्र अभी र्ि भलाषला
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         तम्बलाक भेजते थे। र्षुत्यगलाललर्ों क तम्बलाक कला व्यलार्र बढ़िे क   कलािी असरदलार रिी िै। िलारसी भलाषला क शब्द अिलार, चश्ला,
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                                                                        षु
         सलाथ िी बहुत से स्लािों र्र ‘सूरत’ से आिे वलाली ‘तम्बलाक’ को   जमींदलार, करलाि, िमक, िमूिला, बीमलार, रूमलाल, आदमी, गंदगी
                                                      ू
                                                                                  ं
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         ‘सरती’ र्ला ‘सषुतती’ किला जलािे लगला। हिदी प्रदश क कई र्वती क्षेरिों   आहद सैकड़ों शब्द भी हिदी को सौंदर््य प्रदलाि कर रिे िैं।
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         में आज भी खलािे की तम्बलाक को सषुतती किते िैं। ऐसे िी ‘चीिी’   अरबी- अरबी इलिलाम मजिब की भलाषला िै और वववि प्रशसद्ध
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         शब्द चीि र्र आधलाररत िै। चीिी आज शजस रूर् में वमलती िै,   करलाि-ए-शरीि अरबी भलाषला में िी ललखी गई िै। अरबी भलाषला
                                                                षु
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         वि र्िले-र्िल चीि में िी बिी थी। इसी प्रकलार, ‘वमस्ती’ कला   क शब्द औललाद अमीर, कत्ल, कलम, ररवित, आदत, कदी,
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                                                                             ं
         संबंध वमस्र दश से िै। वमस्ती शब्द भलारत में विीं से आर्ला िै।   मलाललक, गरीब हिदी को तिजीब शसखलाते प्रतीत िोते िैं।
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