Page 31 - आवास ध्वनि
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ष्हन्री का राष्टरीय स्वरूप
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रत एक बहुभलाषी रलाष्ट िै। इसललए संप्रेषण क ललए प्रसलार बढ़लाए और उसकला ववकलास करें तलानक वि भलारत जैसे
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एक संर्क भलाषला अनिवलार््य िै। अर्िी संस्ृवत की वमश्श्त संस्ृवत वलाले ववशलाल दश की सलामलाशसक संस्ृवत क
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मिलाि र्रंर्रला और अत्स्तला की सरक्षला क सलाथ-सलाथ रलाष्टीर् एवं सभी तत्वों की अहभव्यशक्त कला मध्यम बि सक । इसललए र्ि
रलाजिीवतक दृहटि से भी र्ि आवश्यक िै नक दश में कोई एक आवश्यक िै नक वि हिन्षुस्लािी भलाषला में व्यक्त स्वरूर्, शैली,
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संर्क भलाषला िो। अहभव्यशक्त और संस्लार में कोई व्यवधलाि ि िो। उर्रोक्त क
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भलारत में हिन्ी ि कवल संघ क सरकलारी कलामकलाज की रलाजभलाषला सलाथ सरकलार से र्ि अर्क्षला की गई िै नक वि 8वीं अिषुसूची
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िै बब्कि अखखल भलारतीर् संर्क भलाषला भी िै। रलाजभलाषला क ललए की अन्य भलाषलाओं क प्रर्षुक्त रूर्, शैली और र्दों को आत्मसलात
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रलाष्टीर् अत्स्तला को व्यलार्क अहभव्यशक्त प्रदलाि करिे वलाली भलाषला करते हुए हिन्ी क शब्द भण्डलार क ललए मषुख्तः संस्त से और
को रलाजभलाषला क रूर् में मलान्यतला दी गई िै। संववधलाि की अटिम गौणतः अन्य भलाषलाओं से ग्िण करते हुए हिन्ी तथला अन्य सभी
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सूची में शलावमल हिन्ी सहित सभी 22 भलाषलाए िमलारी रलाष्टीर् भलाषलाओं की समृ लद्ध सनिश्चित करें।
भलाषलाए िैं। भलाषला संस्ृवत की वलािक िोती िै। अतः हिन्ी ि सरकलार िे इस संदभ्य में रलाजभलाषला अशधनिर्म 1963, रलाजभलाषला
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कवल िमलारी संस्ृवत कला अववभलाजर् अग िै अहर्त उसकी संकल्प 1968 और रलाजभलाषला निर्म 1976 र्थलासंशोशधत 1987
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कजी भी िै। बिलाए शजिमें रलाजभलाषला क रूर् में हिन्ी क ववकलास कलार्यों को
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भलारतीर् संववधलाि क अिषुच्द 351 में प्रलावधलाि िै नक संघ (भलारत हक्रर्लास्तवित करिे कला आदश िै। सरकलार िे उर्र्क्त सभी आदशों
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सरकलार) कला र्ि कत्यव्य िै नक वि रलाजभलाषला हिन्ी कला प्रचलार, क हक्रर्लाविर्ि क ललए ववहभन्न संस्लाओं की स्लार्िला की, जैसे
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कन्द्ीर् हिन्ी निदशलालर्, कन्द्ीर् हिन्ी संस्लाि,
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वैज्लानिक और तकिीकी शब्दलावली आर्ोग,
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रलाजभलाषला ववभलाग, कन्द्ीर् अिषुवलाद ब्रो, कन्द्ीर्
हिन्ी प्रशशक्षण संस्लाि आहद। हक्रर्लाविर्ि क स्र
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र्र भी कई तरि की प्रोत्सलािि र्ोजिलाओं कला भी
ववधलाि नकर्ला गर्ला िै।
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हिन्ी क अखखल भलारतीर् संर्क भलाषला र्ला रलाष्टीर्
स्वरूर् क ललए िमें संक्षेर् में इवतिलास में जलािला
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िोगला। मध्यकलाल में सलाहित्यिक भलाषला क रूर् में
ब्रजभलाषला िे मित्वर्ण्य भूवमकला निभलाई िै। सूरदलास,
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िंददलास आहद अटिछलार् कववर्ों िे जिलाँ इसे जि भलाषला
बिलार्ला विी रीवतकलाल क कववर्ों और आचलार्यों िे
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इसे व्यलाकरण सम्त रूर् हदर्ला। खड़ी बोली हिन्ी
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कला भी सलामलािलांतर ववकलास िो रिला थला। अमीर खसरो
की कववतला र्िेललर्ों से निकली, कबीर की वलाणी
में र्ली बढ़ी, हिन्षुस्लाि क दूर दरलाज स्लािों में
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व्यलार्लार, बला्ज़लार, संस्ृवत समलाज, धम्य क अलग-
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अलग लचीलेर्ि क सलाथ-सलाथ कभी दक्क्िी,
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