Page 54 - आवास ध्वनि
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को र्िचलािते हुए िी भलारतेंदषु िररचिंद्र िे हिदी की उन्नवत शीष्यक सव्यव्यलार्क ि रिेगी। िमें अब अर्िी मलातृभलाषला की उर्क्षला करक
व्यलाख्लाि में 1877 में किला थला- “निज भलाषला उन्नवत अिै, सब उसकी ियिला ििीं करिी चलाहिए...।” सि् 1946 में उन्होंिे िररजि
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उन्नवत को मूल...।” र्ि वि समर् थला जब आधनिकतला क िलाम िलामक र्रि में भी ललखला थला- “मेरी मलाँ की भलाषला में नकतिी िी
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र्र कछ लोगों में अग्जी कला आकष्यण र्ैदला िो रिला थला। भलारतेंदषु कवमर्लाँ िों, हिर भी मैं उससे अर्िी मलातला की छलाती की तरि
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द्लारला संकज्ल्पत र्ि निज भलाषला हिदी एवं क्षेरिीर् भलाषलाए िी थी, शचर्टला रहूगला। विी मझे प्रलाणदलार्क दूध द सकती िै।
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शजिकी उन्नवत क वबिला सख-दषुख, ज्लाि-ववज्लाि, प्रेम-वववेक, भलारतवष्य सिलाति ज्लाि र्रंर्रला कला कद्र रिला िै। ववदशी दलासतला क
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मलािशसक ववकलास, संवेदिलात्मक ववकलास और व्यशक्तत्व ववकलास दौर में अिेक रूर्ों में ज्लाि की इस सिलाति र्रंर्रला को िटि करिे
संभव ििीं िै। अिेकतला में एकतला क सूरि, व्यशक्त, समलाज और क प्रर्लास िोते रिे। शब्रनटश दौर में मैकलाले की शशक्षला िीवतर्ों
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रलाष्ट क ववकलास क द्लार निज भलाषला की उन्नवत से िी जषुिते- खलते िे समूची भलारतीर् शशक्षला व्यवस्ला को हभन्न-हभन्न रूर्ों में ध्वस्
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िैं। मलातृभलाषला प्रयिेक व्यशक्त को उसक र्ररवलार,समलाज, प्रदश नकर्ला। रलाष्टीर् भलाविला, रलाष्टीर् गौरव क प्रतीक, वीर र्रंर्रला,
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और दश से जोड़ती िै, उिक बीच समरसतला स्लाहर्त करती संत र्रंर्रला, यिलाग, सेवला भलाव एवं जीवि मूल्य जैसी ववहभन्न
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िै। ऋग्द में किला गर्ला िै- “मलातला भूवम र्षुरिोंिम् ...। अथला्यत् र्ि मित्वर्ण्य बलातें शशक्षला से अलग िटला दी गई। स्वतंरि भलारत में
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भूवम मेरी मलातला िै और मैं इसकला र्षुरि हू। ऐसला िी भलाव मलातृभलाषला भी शशक्षला िीवतर्ों में हिदी सहित भलारतीर् भलाषलाओं क स्लाि
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में भी ववद्यमलाि िै। सि् 1918 में हिदी सलाहियि सवमवत इदौर क र्र अग्जी कला वच्यस्व बिला रिला। अग्जी अच् ज्लाि और अच्ी
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अशधवेशि में गलांधी जी िे किला थला- “आज अग्जी सव्यव्यलार्क शशक्षला कला र्र्ला्यर् बिती चली गई। िमलारी शशक्षला िीवतर्लाँ बलालक
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भलाषला िै, र्र र्हद अग्ज सव्यव्यलार्क ि रिेंगे तो अग्जी भी अथवला मिषुष्य को एक संसलाधि क रूर् में दखती रिी। वि उसे
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