Page 49 - आवास ध्वनि
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विी र्ंत ि अर्िी कववतला में एक ओर लोकगीतों कला अतः किला जला सकतला िै नक स्वलाधीितला आदोलि में हिदी
र्ररचर् दते हुए उसकी मित्तला को स्वीकलार नकर्ला िै तो लोकगीतो कला र्ोगदलाि बहुत िी मित्वर्ण्य रिला | भलारतेंदषु
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विी कवव निरलालला िे अर्िी कववतलाओं में प्रकवत कला संदर र्षुग, हद्वेदीर्षुगीि, छलार्लावलाद और प्रगवतवलाद कववर्ों िे
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एवं निरलालला शचरिण नकर्ला िै | कवव जर्शंकर प्रसलाद में लोकगीतों में र्रंर्रला रीवत- ररवलाज संस्लार से प्रभलाववत
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अर्िी कवत ‘कलामलार्िी’ में िलाशर्कला श्द्धला क प्रवत प्रेम-भलाव थला | इस कलाल कला जि सलाहियि लोकगीत से प्रेररत एवं
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कला वण्यि तकली-चरख क मलाध्यम से करते हुए हदखलाई संचलार करतला िै | र्िी कलारण िै नक इि कववर्ों कला स्वर
दते िैं | इसमें ििीं तो मिषु को अर्िला झोर्ड़ला हदखलाती िै आज तक इि लोकगीतों में उल्ल्खखत िैं | इन्हें र्लाद नकए
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शजसमें भौवतक सख सववधलाओं हुआ िै जैसे झूलला, िलों वबिला स्वलाधीितला आदोलि को िला तो ठीक से समझला जला
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की सेज और खखड़नकर्ों आहद कला मिमोिक वण्यि हदखलाई सकतला िै और ि िी कोई रलार् निश्चित की जला सकती िै र्ि
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दतला िै | कििला अिषुशचत ििीं िोगला नक लोकगीत िी शशटि सलाहियि
प्रगवतवलादी कववर्ों िे अर्िी कववतला कला आधलार िगरों और कला आधलार िै |
ग्लामों की जितला तक िी ििीं रखला अहर्त आम व्यशक्त को संदभद्ध-सूचरी
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अर्िी रचिलाओं में सव्यप्रथम स्लाि हदर्ला िै| इसमें छलार्लावलादी 1. िॉ. रलामस्वरूर् चतषुववेदी : हिदी सलाहियि व् संवदिला कला
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कवव निरलालला और सषुवमरिलािंदि र्ंत िे अर्िी अिम भूवमकला
निभलाई िै | आस्ला, ववविलास और दृढ़तला क इस प्रगवतशील ववकलास, र्ृ.198
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भलाव को सिज भलाव से सभी िे स्वीकलार नकर्ला िै | गलाँव में 2. श्ीप्रकलाश शषुक् : सलाठोत्तरी हिदी कववतला में लोक
बसी जितला को ििीं वलाणी वमली | लोकगीतों कला सीधला सौंदर््य,र्ृ.95
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संबंध जितला क हृदर् से िोतला िै इसललए लोकगीतों की 3. ब्रज रत्नलाकर-भलारतेंदषु ग्थलावली,भलाग-2,र्ृ. 487
शैललर्ों को अर्िलाकर प्रगवतवलादी कववर्ों िे सलामलान्य जि- 4. वीरेंद्र िलाथ हद्वेदी -आधनिक हिदी कववतला में
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जीवि क अिेक शचरि प्रस्त नकर्े | इस संदभ्य में शशवमंगल लोकतत्व,र्ृ.103
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शसि समि की र्शक्तर्लां इस प्रकलार से िै- 5. रूद्रकलाशशकम : भलारतेंदषु ग्थलावलीिलाटक भलारत
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“ताल तलैया भररे चंहु ओर दषुदशला,र्ृ.134
ख्कोर ष्हलोर में डोल ररे ष्हय |”12 6. िॉ.रलामववललास शमला्य : भलारतेंदषु र्षुग,र्ृ.156
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इसी प्रकलार कवव िे िोली रंग कला भी हभन्न-हभन्न रूर्ों रंगिे 7. िॉ. कष्ण मोिि सेक्िला : भलारतेंदषु र्षुगीि िलाटी सलाहियि
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की बलात किी गई िै- में लोकतत्व,र्ृ.7
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“ सुन सुरों की सहन आहट 8. िॉ.श्ीकष्ण ललाल-आधनिक हिदी सलाहियि कला
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क्षक की टचकार ववकलास,र्ृ.107
घंटों की 9. मैशथलीशरण गप्त : सलाकत- िवम सग्य, र्ृ.287
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सुपररसचत टनटनाहट
10. विी,र्ृ.299
पंथ जाग रे
11. मिलादवी वमला्य : सलांध्यगीत ,र्ृ.237
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खत जाग रे
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12. गललाब रलार् : कलाव्य क रूर्,र्ृ.144
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र्बज न पलक उधाररी
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और दखा 13. सषुवमरिलािंदि र्ंत-रंगमिल,र्ृ.259
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झरील की उष्मल सतह पर
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n डॉ. राजकमाररी शमाद्ध
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रास क रससया सररीख रे
हदल्ी ववविववद्यलालर्
झूमत शतदल |”13
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