Page 53 - आवास ध्वनि
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                            ष्हदरी की समृशर्द में मातृभा्षाओं की भूष्मका

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                    वतवष्य हिदी हदवस, हिदी सप्तलाि एवं हिदी र्खवलाड़ला     प्रलारंहभक शशक्षला तवमल में हुई। आज दश उन्हें वमसलाइल मैि क
                                                                                                                े
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                 आहद क मलाध्यम से हिदी की ब्स्वत और अन्य र्क्षों   िलाम से जलाितला िै। स्टि िै नक जब कोई व्यशक्त, समलाज अथवला
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         को लेकर एक लंबी चचला्य िोती िै। र्ि भी सयि िै नक हिदी आज   रलाष्ट अर्िी सिलाति र्रंर्रलाओं,श्ष्ठ जीवि आदशयों और मलातृभलाषला
                                                                                       े
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         रलाष्टीर् और वैश्विक िलक र्र लगलातलार मजबूत िो रिी िै, नकत  षु  कला शचति-वंदि करतला िै तो वि उन्नवत की ओर अग्सर िोतला िै।
                                                                    ं
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         िमें र्ि समझिला िोगला नक हिदी की समृलद्ध में मलातृभलाषलाओं की   मलातृभलाषला  आत्मबल की उन्नवत करती िै। उन्नत आत्मबल वलालला
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         मित्वर्ण्य भूवमकला िै। भलारतवष्य की ववहभन्न भलाषलाए व बोललर्लाँ   व्यशक्त अथवला रलाष्ट िी शशखर र्र र्हुचतला िै। लंबी र्रलाधीितला िे
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         आर्स में एक दूसरे क सलाथ जड़ी हुई िैं, उिमें गिरला संबंध िै।  जिसलामलान्य क आत्मबल को कमजोर नकर्ला। वविबिला र्ि रिी
                                                                         े
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         दश में अिेक लोग ऐसे हुए िैं शजिकी शशक्षला-दीक्षला मलातृभलाषला में   की आजलादी क बलाद कई दशकों तक भी उस टूटे हुए आत्मबल
                                                                े
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         हुई, लेनकि उन्होंिे रलाष्टीर् और वैश्विक िलक र्र हभन्न-हभन्न क्षेरिों   क निमला्यण की हदशला में प्रर्लास ििीं हुए। हर्छले कछ वषयों में
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         में दश कला िेतृत्व नकर्ला। स्वलामी वववेकलािंद मूलत: बंगलला भलाषी   शीष्य िेतृत्व द्लारला ववहभन्न रूर्ों में आत्मबल निमला्यण क प्रर्लास
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         थे, शजन्होंिे रलाष्टीर् और वैश्विक िलक र्र भलारतवष्य क वेद और   हुए िैं। मलातृभलाषला शचति इस दृहटि से मित्वर्ण्य िै। रलाष्टीर् शशक्षला
                                                                                                                े
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         अध्यलात्म कला संदश िललार्ला। मिलात्मला गलांधी मूलतः गजरलाती थे,   िीवत 2020 मलातृभलाषलाओं में शशक्षला की ववहभन्न सम्भलाविलाओं क
         शजन्होंिे शब्रटेि से वकलालत की शशक्षला लेिे क बलाद रलाष्टीर् और   सलाथ हक्रर्लास्तवित िो रिी िै। मलातृभलाषला में व्यविलार और शशक्षला
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         वैश्विक िलक र्र समलाज और रलाष्ट कल्यलाण क ललए खूब कलाम   नकसी क बहिष्कलार से र्रे स्वर्ं क स्वीकलार की हदशला में जलािला िै।
         नकर्ला। स्वगतीर् अब्दषुल कललाम आजलाद मूलतः तवमल भलाषी थे।   मलातृभलाषला वि िै शजसे बलालक सबसे र्िले अर्िी मलाँ से सीखतला
                                                                                 े
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         उिकला जन्म तवमलिलािषु क रलामेविरम िलामक स्लाि र्र हुआ, उिकी   िै और हिर र्ररजिों क सलाथ उसकला ववकलास करतला िै। इसक
                                                               ललए उसे नकसी प्रकलार कला अिलावश्यक प्रर्लास ििीं करिला र्ड़तला।
                                                               सीखिे की र्ि प्रहक्रर्ला प्रवतहदि खलाते-र्ीते, िंसते- रोते निरंतर
                                                               चलती  रिती  िै।  ववद्यलालर्  में  सीखला  हुआ  अथवला  र्षुवलावस्ला
                                                               की  बहुत  सी  बलातें  व्यशक्त  भूल  सकतला  िै,  लेनकि  मलाँ  की
                                                               लोररर्लाँ,किलानिर्लाँ और मलाँ क द्लारला अर्िी निज भलाषला में हदए गए
                                                                                     े
                                                               संस्लार उसे आजीवि र्लाद रिते िैं। इसी निज भलाषला की तलाकत














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