Page 52 - आवास ध्वनि
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3. वणद्ध-संयोग में भ्रम – उत्नला, बल् नक, हर्च्, त्तला-प्त = रि – 8. भाववाचक संज्ा में भ्रम – मित्तवतला (मित्त् र्ला मित्तला),
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र्रिला (र्त्तला), तरि(तप्त), र्त्तला चलला िै, स्रोत-स्ोरि, सिस्त सौन्र््यतला (सौंदर््य र्ला संदरतला) आहद।
(सिस्र), गधलांश (गद्यलांश), ववधलाथती (ववद्यलाथती), उद्श्य (उद् 9. वचन पररवतद्धन में भ्रम – दवलाईर्लाँ (दवलाइर्लाँ), लकड़ीर्लाँ
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दश्य), र्रिला (र्न्नला), ववहभरि (ववहभन्न), द्र= द् + /\, समद/\ (लकनड़र्लाँ) आहद|
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(समद्र), द्रद (दद), दररट् (दररद्र), आशतीवलाद (आशीवला्यद), 10. ष्गनतरी में भ्रम– छः (छि), छठवलाँ (छठला), सतलारि (सरिि),
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कप्ला (कर्र्ला), अतरला्यष्टीर् (अतररलाष्टीर्) आहद।
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अठरि (अठलारि), चौंतलालीस (चौवलालीस), िभ्भे (िब्)
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4. लाघव में भ्रम – जंतला (जितला), संकर (सषुिकर), स्रोज आहद।
(सरोज), मलान् थे (मलािते थे), िलाली में (िलाल िी में), उस 11 . स्ान में भ्रम – शचखन्हत (शचहनित र्ला शचह् नित), शध् द
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जगला र्र (जगि) आहद।
(शद्ध र्ला शद् ध), श्ध् दला(श्द्धला र्ला श्द् धला), प्रशसध् द
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5. संर्ध में भ्रम– अयिलाशधक(अवत+अशधक=अयिशधक), (प्रशसद् ध), बषुशध् द-बषुहद्ध (बद् शध) आहद|
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अवतश्योशक्त (अवतशर्+उशक्त = अवतशर्ोशक्त) आहद| 12. अग्रेज़री क कारण भ्रम - बलाघ (बलाग़), अखबर (अक़बर),
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6. उपसगद्ध में भ्रम – अिलाशधकलार (अिशधकलार), सिर्ररवलार किव (कण्व), करण (कण्य), ववधर (ववदषुर), अहदयिला
(सर्ररवलार), उज्ल-प्रज्ज्ल (उज्ज्ल-प्रज्ल) आहद। (आहदयि), अिन्यला (अिन्य), भीमला (भीम), रलामला (रलाम),
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7. प्रयिय में भ्रम – मित्व (मित्त्), चमत्कलाररक कष्णला (कष्ण), कवतल (कनटल), करुस (करु), सदिला
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(चलामत्कलाररक), र्ररवलाररक (र्लाररवलाररक), वववलाहिक (सधला) आहद।
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(वैवलाहिक), भूगोललक (भौगोललक) आहद। 13. sms की भा्षा क कारण भ्रम – कलांद (कलाि), िलाल-दलाल-
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ढलाल, -लोतला (लोटला), दर-िर आहद।
14. कप्टररीकत वतद्धनरी में भ्रम - सच् चलाई (सच्लाई), प्रर्त् ि
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(प्रर्त्न) आहद।
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शब्दों में भ्रम क कारण वाक्य भरी भ्रमयुति बन जात हैं, जैस-
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काल में बाघ मैं गुम रा ता।
वत्यिी अशषुलद्ध स्वलाहदटि खीर में एक ककड़ और रुशचकर
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मिभलावि भोजि में एक बूँद ववष क समलाि िै| अतः इस ओर
अयिशधक सजग रििला चलाहिए। र्ड़ोशसर्ों तथला अवतशथर्ों कला
सम्लाि करते-करते अर्िे मलातला-हर्तला कला सम्लाि करिला ि भूलें।
अर्िी भलाषला अर्िी िै। इसकला सम्लाि सबसे र्िले िोिला चलाहिए।
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ध्यलाि रिे, इसक सम्लाि में किीं कोई कमी ि आए। शब्द ब्रह्म
िै, तो ब्रह्म िी रिे; भ्रम कभी ि बिे।
n डॉ० सुधा शमाद्ध ‘पुष्प’
र्व्य वररष्ठ अध्यलाहर्कला
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हिदी ववभलाग,हदल्ी र्स्लिक स्ल,
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रलाम कष्ण र्षुरम, िई हदल्ी
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