Page 51 - आवास ध्वनि
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         कीशजए, नकसी गरीब को रो्ज़गलार क अवसर दीशजए| शब्दों क   में भी ववहभन्न स्रों र्र भ्रम िो रिला िै-
            षु
         अशद्ध प्रर्ोग में उदलारतला हदखलािला सव्यथला अिषुशचत िै।  1.  वणद्ध में भ्रम – अैसला - एसला, अूर्र, झोड़गला, बटलार्ला (‘त’ की
                                                                                                 ँ
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         स्वतंरितला की सलाथ्यकतला बंधन युति स्वतंरिता में िै| बंधििीितला   घिी को बढ़ला दिे क कलारण ‘ट’बि गर्ला), भरकला (बरखला),
                                                                    षु
                                                                    ं
                                                                                  े
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         स्वच्दतला और हफ़र अरलाजकतला को जन्म दती िै| शब्दों कला    भड़ती जलाती िै (बढ़ती), िलात (िलाथ), दीर्ला भजला दो (बझला),
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         मिमलािला प्रर्ोग भी भलाषला की गररमला को िटि करतला िै| वत्यिी   अ  भ(अब),  मंदर्संद  (मिर्संद),  मझसे  र्ि  भोज  सिला
                                                                                                षु
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         अशषुलद्ध ‘दखि में छोटि लगे, घलाव करे गंभीर|’ अतः िमें इस ओर   ििीं जलातला (बोझ), मझलाक मत करो (म्ज़लाक), सभलोग
         गंभीरतला से ध्यलाि दिला िोगला|                            (सबलोग), िर सलारला (ढर), ढ़र लगला तला (ढर लगला थला), जला
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         िमलारी हिदी भलाषला की र्ि ववशेषतला िै नक िम जैसला बोलते िैं,   रए िैं (रिे), चलाि-चलाए (चलार्), जला ररर्ला िै (रिला), दखबलाल
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                                                                                            े
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         वैसला ललखते िैं| र्हद अशद्ध बोलेंगे, तो अशद्ध िी ललखेंगे। किला   (दखभलाल), एसे- एैसे (ऐसे), कसे (कसे), धोक खलाए िैं
         भी गर्ला िै-                                              (धोखे), ििषुमलाि जी दूध बिकर गए (दूत), शलांतिषु की र्त्नी
                                                                   गंगला िे सलाथ र्षुरि बिला हदए (सलात), र्लाि सो (र्लाँचसौ), प्रलै
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         इसललए हिदी को र्थलाश्त भलाषला एवं श्षुवत-वलाक-लेखि र्द्धवत
         र्र आधलाररत भलाषला किते िैं।                              (प्रलर्), र्ढ़िलाती िै (र्ढ़लाती), बलाई (भलाई), चड़लाई (चढ़लाई),
                                                                   समक्षलार्ला  (समझलार्ला),  अद्धलाहर्कला  (अध्यलाहर्कला),  ढ़लाबला
         भा्षायरी कौशल हैं-  सषुििला, बोलिला, ललखिला, र्ढ़िला      (ढलाबला) आहद|
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         और हिदी की ववशेषतला िै-र्थला सषुििला -> र्थला बोलिला -> र्थला   2.  मारिा में भ्रम –  (अ) ह्रस्व-दीघ्य-लोर् –ररत- क्ऋत (ऋत),
                                                                                                               षु
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         ललखिला -> र्थला र्ढ़िला।                                  हदर्ला-दीर्ला – हदए जल उठ (दीए), खीललार्ला (खखललार्ला),
                                                                                        े
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                                                                                    ं
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         अतः  िमें  सभी  भलाषलार्ी  कौशलों  में  शब्दों  की  शद्धतला  र्र   कीशस  (नकसी),  िहि  (ििीं),  प्रस्त  (प्रस्त),  रूर्र्ला
                                                                              ँ
         अयिशधक ध्यलाि दिे की आवश्यकतला िै।                        (रुर्र्ला),  र्शक्तर्लां-र्ंकतीर्लाँ  (र्शक्तर्लाँ)  मेिक  (मिक),
                                                                                             ं
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         आजकल  तथलाकशथत  अयिशधक  र्ढ़-ललखे  लोगों  में  ईविर       रेििे  दो  (रििे),  मैरला  (मेरला),  मरी-मलारी  चलाची  जी  (मेरी),
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                                                                    े
         अथला्यत ब्रह्म में भी भ्रम िोिे लगला िै; सलाथ िी ब्रह्म स्वरूर् शब्दों   र्िचलाि (र्िचलाि), गैिरला-घैरला (गिरला), बैि जलािला (बि) ,
                                                                                                               ँ
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                                                                   बिौत(बहुत),  छौड़  क  (छोड़कर),  महिललाऐं  (महिललाए),
                                                                   अगद  िे  किला-  मलातला  सीतला  को  लोटला  दो  (लौटला),  ठोस
                                                                    ं
                                                                           े
                                                                   र्षुचलािला  (ठस  र्हुचलािला),  टोट  गर्ला  (टूट),  दषुसरों  (दूसरों),
                                                                                ँ
                                                                           ृ
                                                                   हक्रर्र्ला (कर्र्ला), स्रहटि (सृहटि), मलारिभूवम क ललए बललदलाि
                                                                                                    े
                                                                   (मलातृभूवम),  र्ूँछ  लो  (र्ूछ),  कलाँट  हदर्ला  (कलाट),  श्गलार
                                                                                                             ृं
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                                                                   (शृगलार),  श्खलला  (शृखलला),  सलाँस  (सलास)  िे  एक  सलास
                                                                            ृं
                                                                                    ं
                                                                   (सलाँस) में सलारला सोस (सॉस) खला ललर्ला, गृिणी (गृहिणी),
                                                                   ग्िकलार््य (गृिकलार््य), र्ररक्षला (र्रीक्षला) आहद।
                                                                            ं
                                                                   (आ) चंद्रवबदषु और अिषुस्वलार में भ्रम – वि िँस (िंस) को
                                                                   दखकर िंस (िँस) र्ड़ला, र्ँजलाबी (र्ंजलाबी), सलाँसद (सलांसद),
                                                                    े
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                                                                   सँसलार  (संसलार),  शभकलामिलाए(ए),  आसू  (आ),  जलाएगे
                                                                                             ँ
                                                                            षु
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                                                                   (जलाएगे), धँआ (धआ) आहद|
                                                                       ँ
                                                                                                                51
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