Page 55 - आवास ध्वनि
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                                                                                  कला  व्यविलार  संर्ण्य  सलाक्षरतला  की
                                                                                  हदशला में भी कलारगर शसद्ध िो सकतला

                                                                                  िै।  सकलारलात्मक  र्ि  िै  नक  रलाष्टीर्
                                                                                  शशक्षला िीवत 2020 शशक्षला व्यवस्ला में
                                                                                                          ें
                                                                                  बहुभलाषला और मलातृभलाषला र्र कहद्रत िै।
                                                                                                       ें
                                                                                  र्ि जिलाँ एक ओर भलारत कहद्रत िै विीं
                                                                                  दूसरी ओर बलालक कहद्रत भी िै। र्िलाँ
                                                                                                   ें
                                                                                  “बहुभलाषलावलाद  और  भलाषला  की  शशक्त”
                                                                                  शीष्यक में ललखला िै- “र्ि सव्यववहदत
                                                                                               े
                                                                                  िै नक छोटे बच् अर्िे घर की भलाषला/
                                                                                  मलातृभलाषला में सलाथ्यक अवधलारणलाओं को
                                                                                  अशधक तेजी से सीखते िैं और समझ
                                                                                  लेते  िैं।  घर  की  भलाषला  आमतौर  र्र
                                                                                  मलातृभलाषला र्ला स्लािीर् समदलार्ों द्लारला
                                                                                                        षु
         अच्ला व्यवसलार्ी और बलाजलार क अिषुरूर् तो बिलाती रिी, नकत  षु  बोली जलािे वलाली भलाषला िै... जिलाँ तक संभव िो कम से कम ग्ेि 5
                                  े
                                                        ं
         मलातृभलाषला, र्रहित कला भलाव और भलारत भलाव से वि अशधकलांशतः   तक लेनकि बेितर र्ि िोगला नक र्ि ग्ेि 8 और उससे आगे तक
         दूर िोतला चलला गर्ला। आज भलारतवष्य हभन्न-हभन्न रूर्ों में ववकलास   भी िो, शशक्षला कला मलाध्यम घर की भलाषला/ मलातृभलाषला/ स्लािीर्

         क मलाग्य र्र अग्सर िै। िर्ला भलारत, समथ्य भलारत और सशक्त भलारत   भलाषला/ क्षेरिीर् भलाषला िोगी।” रलाष्टीर् शशक्षला िीवत एवं िए भलारत
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                                                                                े
                                                                                        षु
         आत्मनिभ्यरतला की ओर बढ़ रिला िै। ऐसे में र्ि नितलांत आवश्यक   की आवश्यकतलाओं क अिषुरूर् कछ ववविववद्यलालर्ों िे मेनिकल
                                                                   ं
                                                                                                          ं
                                                                           ं
         िै नक मलातृभलाषला शशक्षला एवं संस्लार कला मलाध्यम बिे। र्षुवला भलारत   एवं  इजीनिर्ररग  जैसे  तकिीकी  ववषर्ों  को  भी  हिदी  एवं
                                                                                           षु
         मलातृभलाषला क शचति क सलाथ-सलाथ उसक वंदि क ललए भी दृढ़   अन्य भलारतीर् भलाषलाओं में र्ढ़लािला शरू नकर्ला िै। र्लाठ्यक्रम की
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         संकज्ल्पत िो। सि् 1886 में एक र्रि में ववदशी ववद्लाि फ्िररक   आवश्यकतलाओं क अिषुरूर् मलातृभलाषला अथवला स्लािीर् भलाषलाओं में
                                                                                                          षु
                                                                                                        ं
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         हर्कलाट िे ललखला िै- “मैं संर्ण्य रूर् से जलाितला हू नक जब तक   सलामग्ी उर्लधि करवलािला एक बड़ी चषुिौती िोगी, नकत संकल्प
                                               ँ
         नकसी  दश  में  निजभलाषला  अक्षर  सरकलारी  और  व्यविलार  संबंधी   से उसमें भी सिलतला वमलेगी।
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         कलामों में ििीं प्रवृत्त िोते िैं तब तक उस दश कला र्रम सौभलाग्य   मलातृभलाषला में वि शशक्त िै शजसक सिलारे  बलालक िैसवगक रूर् से
                                                                                                         टि
                                                                                       े
                                     े
         िो ििीं सकतला।” क्ला इस प्रकलार क  ववहभन्न वक्तव्यों र्र आज   ज्लािलात्मक और ववकलासलात्मक अवस्लाओं तक आसलािी से र्हुच
                                                                                                               ँ
         गंभीरतला से ववचलार करिे की आवश्यकतला ििीं िै? ध्यलातव्य िै   सकतला िै। ववहभन्न दशों में उिकी शशक्षला व्यवस्ला, उिकला व्यविलार
                                                                              े
         नक भलारतवष्य जिसंख्ला की दृहटि से वववि कला सबसे बड़ला दश िै।   उिकी अर्िी भलाषलाओं में िी िोतला िै। मलातृभलाषला हदवस क अवसर
                                                      े
                                                                                                          े
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         आज भी ववहभन्न प्रदशों में सलाक्षरतला क आकड़ कम िैं। आज भी   र्र  र्ि  संकल्प  लेिे  कला  समर्  िोिला  चलाहिए  नक  िम  अर्िी
                                      े
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                                                  टि
         शशक्षला एवं सलाक्षरतला की दृहटि से महिललाओं और आशथक रूर् से   मलातृभलाषलाओं  क  व्यविलार में सम्लाि मिसूस करें। दशी-ववदशी
                                                                                                        े
                                                                                                              े
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         हर्छड़ वगयों की ब्स्वत शचतलाजिक िै। आज वष्य 2022 में भी   सभी भलाषलाओं में ज्लाि कला भंिलार िै, उन्हें सीखिे में कोई बरलाई ििीं
                                                                                                          षु
         ववद्यलालर् और मिलाववद्यलालर्ों से कई बच् बीच में िी र्ढ़लाई   िै। लेनकि र्िलला सम्लाि अर्िी मलातृभूवम और अर्िी मलातृभलाषला
                                           े
         छोड़ दते िैं, शजसकला बड़ला कलारण अग्जी मलाध्यम की कठठितला   क ललए आवश्यक िै। मलातृभलाषला क वबिला व्यशक्त, समलाज और
                                     ं
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                                                                े
         िै। ववहभन्न अध्यर्ि एवं शोध इस बलात की र्षुहटि करते िैं नक   रलाष्ट की उन्नवत अधूरी िै।
         बलालक अर्िी मलातृभलाषला में अशधक सीखतला िै और सरलतला से                                   n डॉ. अजु रानरी
                                                                                                          ं
         सीखतला िै। मलातृभलाषला में शशक्षला, मलातृभलाषला में कलाम और मलातृभलाषला       लेखक एवं किलािीकलार, हदल्ी
                                                                                                                55
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