Page 71 - आवास ध्वनि
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रे
                                          सावन महरीन का महत्व

                                                                                                             षु
                                                                          षु
                                                                                        े
                                                                                                   षु
                 वण मलास कला प्रयिेक हदि बेिद िलदलार्ी िै, लेनकि     इस सलाल 4 जललाई से सलावि क मिीिे की शरुआत िो चकी
          श्ा
                 उससे भी ज्यलादला श्लावण मलास में र्ड़िे वलाले सोमवलार   िै, शजसकी समलाहप्त 31 अगस् को िोगी। हिन्ू धम्य में सलावि
                                                                े
         क हदि ववशेष मित्व िोतला िै। किला जलातला िै नक जो व्यशक्त   क मिीिे को बहुत िी ज्यलादला मित्व हदर्ला जलातला िै और र्े
          े
                                                                                           टि
                े
         सलावि क सोमवलार कला व्रत करतला िै उसक वैवलाहिक जीवि   र्ूरला मिीिला भगवलाि शशव को समहर्त िोतला िै। इस मिीिे में
                                            े
                                                                     े
             षु
         में खशिलाली बिी रिती िै। सलाथ िी, उस व्यशक्त को जीवि में   सलावि क हदिों में भगवलाि शशव कला जललाहभषेक नकर्ला जलातला
          षु
         सख समृलद्ध की कमी भी ििीं रिती िै।





























                                                               िै और भगवलाि शशव र्र धतूरला, बेलर्रि, चंदि, शिद आहद
                                                               अहर्त नकर्े जलाते िैं। मलािला जलातला िै नक इस मिीिे में भगवलाि
                                                                  टि
                                                               शशव की र्ूजला करिे से भोलेिलाथ शीघ्र प्रसन्न िोते िैं और भक्त
                                                                                 ू
                                                               की सभी मिोकलामिला र्ण्य करते िैं।
                                                                       रे
                                                               इस महरीन का र्वशरे्ष महत्व क्यों है।
                                                                                  े
                                                               दांपयि जरीवन: सलावि क मिीिे में र्वत-र्त्नी को सलाथ वमलकर
                                                               र्ंचलामृत से भगवलाि शशव कला अहभषेक करिला चलाहिए। ऐसला
                                                               करिे से दलार्यि जीवि में आिे वलाली सभी समस्यलाओं कला
                                                                        ं
                                                                                                        षु
                                                                                          े
                                                               निवलारण िोतला िै और र्वत र्त्नी क बीच संबंध मधर िोते िैं।
                                                               आसथक  क्स्र्त:  अर्िी  आशथक  ब्स्वत  मजबूत  करिे  क
                                                                                                               े
                                                                                        टि
                                                                   षि
                                                                                                          े
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                                                               ललए सलावि क सोमवलार क हदि भोलेिलाथ कला अिलार क रस से
                                                                                                                71
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