Page 74 - आवास ध्वनि
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िै। िमें सभी बजषुगयों कला सम्लाि करिला चलाहिए और उिकी बलात रिे नक आर् कलामर्लाब िोगें और उन्हें सख दगे और आर्की
सषुििी चलाहिए, चलािे िम उिकी सभी रलार्ों से सिमत ि िों। कलामर्लाबी र्र वो इठललाते हिरेंगे।
मातृ दवो भवः, ष्पतृ दवो भवः- इस र्शक्त को बोलते हुए िमलारला वृद्धलावस्ला मलािव जीवि कला एक मित्वर्ण्य चरण िै और िमें
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शीष श्द्धला से झक जलातला िै और सीिला गव्य से ति जलातला िै। उिसे बहुमूल्य शशक्षला प्रलाप्त िोती िै। उिकला अिषुभव िमें सभ्यतला,
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मलातला हर्तला िमलारे सलाक्षलात ईविर िै। इसीललए तो भगवलाि गणेश िवतकतला, और धैर््य की सीख दतला िै। वे अर्िे जीवि क अिषुभवों
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िे ब्रह्मलाण्ड की र्ररक्रमला करिे की बजलार् अर्िे मलातला हर्तला से िमें र्ि शसखलाते िैं नक कसे िम अर्िे जीवि क ववहभन्न
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शशव- र्लाव्यती की र्ररक्रमला करक प्रथम र्ूज्य िोिे कला अशधकलार र्िलओं कला मकलाबलला कर सकते िैं और खद को समहर्त रख
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िलाशसल कर ललर्ला थला, नकसी जमलािे में शजिकी आज्ला क बगैर सकते िैं। कछ र्ररवलारों में बजषुगयों को िला तो दवतला समझला जलातला
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घर कला कोई कलार््य और निण्यर् ििी िोतला थला। जो र्ररवलार में िै और िला िी इन्सलािों जैसला व्यविलार नकर्ला जलातला िै बस बजषुग्य
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सवपोर्रर थे। और र्ररवलार की शलाि समझे जलाते थे आज उर्लक्षत, उर्लक्षत, बेसिलारला और एकलान्वलास में रिकर ईविर से अर्िे
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बेसिलारला और दर्िीर् जीवि जीिे को मजबूर िजर आ रिे िै बूललावे कला इन्जलार मलारि करते रिते िैं।
र्िलां तक नक तथला कशथत र्ढ़ ललखे लोग जो अर्िे आर् को
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आधनिक मलािते िै , अर्िे आर्को र्ररवलार की सीमलाओं में बंधला वृद्धों की लगलातलार बढ़ रिी संख्ला की वजि से आज सरकलार
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हुआ स्वीकलार ििी करते िैं और सीमलाऐं तोड़िे क कलारण र्शवत को िर शजले में वृद्धलाश्म खोलिे की ्ज़रूरत मिसूस िो रिी
व्यविलार करिला सीख गर्े िैं वे अर्िे मलातला हर्तला व अन्य बजषुगयों िै। र्िलां र्ि बलात सोचिे र्र म्ज़बूर करती िै नक क्ला िमलारे
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को ’’रूढ़ीवलादी’’, ’’सिक हुर्े’’ तथला ’’र्लागल िो गर्े र्े तो’’ तक मलातला-हर्तला की श्ज़म्दलारी सरकलार की िै; िमलारला उिक प्रवत कोई
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कला सम्बोधि दिे लगे िै। वतिकला-वतिकला जोड़कर आर्क ललए उत्तरदलाशर्त्व ििीं। जब उन्होंिे कभी िमें अकलला ििीं छोड़ला तो
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आशशर्लािला बिलार्ला और आज आर् िर्े आशशर्लािे क ललऐ उि र्र िम इतिे स्वलाथती कसे िो जलाते िैं नक वबिला कछ सोचे- ववचलारे
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भलाविलाओं से लबलालेज उिक आशशर्लािे को बेच दिे कला दवलाब नि:सिलार् अवस्ला में उन्हें छोड़कर चले जलाते िैं। जबनक िम
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बिला रिे िै, वे कवल इसी झूठी आशला क सिलारे र्ि सब करते सब को र्तला िै नक वृद्धलावस्ला में बजषुगयों को कई प्रकलार की
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