Page 75 - आवास ध्वनि
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टि
         शलारीररक, मलािशसक, सलामलाशजक व आशथक समस्यलाओं कला
         सलामिला करिला र्ड़तला िै।

                                   षु
         इससे भी किीं अशधक ्ज़रूरत, बढ़लार्े में व्यशक्त को
         भलाविलात्मक सिलारे की िोती िै। वे चलािते िैं नक
                                         ें
         घर क अन्य र्षुवला सदस्य उिक सलाथ बैठ; उिसे
                                 े
             े
         सललाि लें; उन्हें समर् द, और जब उन्हें र्ि
                            ें
         सब ििीं वमलतला िै तो वे अर्िी भलाविलाए  ँ
               े
         नकसी क सलाथ सलाझला ििीं कर र्लाते और
           े
         अकलेर्ि क शशकलार िो जलाते िैं। र्ररवलार
                  े
                                          े
         में  अर्िी  अिवमर्त  को  ि  समझे  जलािे  क
         कलारण वे ितलाश एवं उर्लक्षत जीवि जीिे को
                           े
         वववश िोते जला रिे िैं।

         िलाललानक, र्ि सच िै नक आज भी भलारत में
             ँ
                               े
         बहुत से बजषुग्य लोक-ललाज क िर से अर्िे
                 षु
         बच्ों क खखललाि कलाििी कलार्यवलाई करिे
                           ू
               े
         से हिचकते िैं। उन्हें लगतला िै नक अगर वे अर्िे
                 े
         िी बच्ों क खखललाि कलाििी कलार्यवलाई करेंगे तो र्ररवलार   विीं िीचे दी गई र्े बेितरीि र्शक्तर्लाँ भी बजषुगयों की अिवमर्त
                              ू
                                                                                       ं
                                                                                                 षु
                                                     े
                                              े
         कला िलाम खरलाब िोगला; जमलािला क्ला किेगला; बच् िमेशला क   को बखूबी बर्लां करती िैं-
                          ँ
                                         षु
         ललए उिसे दूर िो जलाएगे इयिलाहद। विीं, कछ ्ज़लागरूकतला की
                                                               तू इन बूि दरख्तों की हवाए साथ रख लना
                                                                      रे
                                                                                                रे
                                                                                     ँ
              े
         कमी क चलते चषुर्चलार् बच्ों द्लारला नकए जला रिे दषुव्य्यविलार को
                                                                                     ँ
                                                               सफ़र में काम आयेंगरी दुआए साथ रख लना
                                                                                                रे
         सिते रिते िैं। अगर इस समस्यला से निजलात र्लािला िै तो िमलारे
                                                                                                 षु
                                                                             े
          षु
                                             े
         बजषुगयों को अर्िे सलाथ िो रिे गलत व्यविलार क          इस बलात कला उल्ख करिला ्ज़रूरी िै नक बजषुगयों को भी अर्िी
                                                                                                                े
                                                                             टि
                                                                                                      े
         खखललाि आवला्ज़ उठलािी िोगी।                            र्रंर्रलागत िठधवमतला को छोड़ते हुए िई र्ीढ़ी क र्षुवलाओं क
                                                               सलाथ तलालमेल बिलाए रखिे की कोशशश करिी चलाहिए। अर्िे
                                                     े
         र्षुवला र्ीढ़ी को समझिला चलाहिए नक वृद्ध व्यशक्त समलाज क ललर्े   बेटे-बहुओं क सलाथ अर्िी रलार् सलाझला करें, नकत उि र्र अर्िी
                                                                                                   ं
                                                                                                     षु
                                                                         े
         संर्शत्त की तरि िैं, बोझ की तरि ििीं, और इस संर्शत्त कला ललाभ   रलार् थोर्ें ििीं।
         उठलािे कला सबसे अच्ला तरीकला अर्िे मलातला- हर्तला को सलाथ रखे   चूँनक  र्ि  सलामलाशजक  क  सलाथ-सलाथ  एक  भलाविलात्मक  मद्ला  िै
                                                                                                            षु
                                                                                  े
            े
         उिक मलािशसक, शलारीररक एवं भलाविलात्मक स्वलास्थ् कला ध्यलाि   इसललए  इसकला  िल  कवल  सरकलार  द्लारला  बिलाए  गए  कलाििी
                                                                                                               ू
                                                                                 े
                 े
         रखे; तो दश में एक भी वृद्धलाश्म की ्ज़रूरत ििीं र्ड़गी। िमें   प्रलावधलािों क आधलार र्र ििीं नकर्ला जला सकतला िै। इसक ललर्े
                                                    े
                                                                        े
                                                                                                           े
         इस ओर ध्यलाि दिे की आवश्यकतला िै वरिला कल िम भी नकसी   चलाहिए नक बच्ों को बचर्ि से िी स्लों में व घरों में बड़-
                      े
                                                                                              ू
                                                                                                               े
         वृद्धलाश्म में र्ड़ िोंगे। इसी संदभ्य में र्षुवला र्ीढ़ी को संबोशधत   बजषुगयों  क  प्रवत  संवेदिशील  रििे  की  शशक्षला  दी  जलाए।  उिमें
                     े
                                                                      े
                                                                षु
         करते हुए हदिेश हदग्ज िे ललखला िै-                     िवतक मूल्यों कला ववकलास नकर्ला जलाए। मिलामलारी की तरि िल
                                                                ै
                                                                                                              ै
                                                                                                        े
                रे
                      रे
                       रे
         ‘बहुत सल्ी लत हो, जरा मुस्राया करो,                   रिी इस सलामलाशजक समस्यला को आर्सी सलामंजस्य क ्ज़ररर्े िी
         अपन चहररे को आईना भरी ष्दखाया करो,                    जड़ से खत्म नकर्ला जला सकतला िै।
             रे
               रे
                 रे
                   रे
         अररे जमान क तजुबबे गूगल पर नहीं ष्मलेंग, रे                                                 n पूनम गुप्ता
                            रे
         ष्मल जो वति, बुजुगगों क पास बैठ जाया करो।                                      वररष्ठ प्रबंधक, आई टी, ििको
            रे
                                                                                                                75
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