Page 67 - आवास ध्वनि
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र्ि दखिे में आर्ला िै नक खेलों कला अप्रयिक्ष रूर् से संबंध र्षुग क िए खेल व मिोरंजि क तरीक अर्िी प्रकवत क अिषुरूर्
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दश क ववकलास से भी िोतला िै। वत्यमलाि समर् में लोगों क लोगों में एकलाकीर्ि तथला मलािशसक तिलावों को जन्म द रिे िैं।
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खेलों क प्रवत िजररर्े में कलािी बदललाव आर्ला िै। खेल िमें
ववहभन्न प्रकलार से शशलक्षत भी करते िैं, इससे मलािवीर् मूल्यों
कला ववकलास िोतला िै सलाथ िी खेलों द्लारला सलामूहिक
चेतिला कला भी ववकलास िोतला िै क्ोंनक खेल की मूल
भलाविला र्िी िोती िै नक अकले ििीं बब्कि समूि
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में खेलिला, खेल द्लारला िेतृत्व करिे की कलला कला भी
ववकलास िोतला िै, खेल से रचिलात्मकतला को भी बढ़लावला
वमलतला िै।
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खेलों क संदभ्य में अगर िकलारलात्मक र्िलू
की बलात की जलाए तो आज क समलाज में
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मिोरंजि क िए सलाधिों और कररर्र
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की भलाग-दौड़ िे खेल क मैदलािों
में िोिे वलाली भलाग-दौड़ को कम
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कर हदर्ला िै। बच् िों र्ला र्षुवला,
लगलातलार मोबलाईल र्र गेम खेलिला र्ला सोशल सलाइट्स र्र घंटों उर्रोक्त से र्ि स्टि िोतला िै नक जीवि में खेलों कला
समर् व्यतीत करिला आज लोगों की आदत बिती जला रिी िै। मित्त् निवववलाद िै। र्े ि कवल जीवि में गवत व लर्
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इसक र्ररणलामस्वरूर् र्षुवला और छलारि आबलादी कला एक बड़ला कला संचलार करते िैं, बब्कि िमें जीवि कला मित्त्र्ण्य र्लाठ
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हिस्ला खेल क मैदलािों से गलार्ब िी रितला िै। भी र्ढ़लाते िैं।
इस प्रकलार तमलाम वजिों से खेल अर्िी उच् भलाविला और उद्श्यों n मयंक मोहन
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क सलाथ लोगों क बीच र्हुच िी ििीं र्ला रिला िैं। विीं वत्यमलाि प्रशशक्ष षु
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