Page 85 - आवास ध्वनि
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मररी भा्षा मरा गौरव
                                                रे
                                                               रे
              ई किे नक भलाषला क्ला िै तो िम इसी सोच में र्ड़     की र्ूरी र्षुवलावस्ला से लेकर उसक जीविकलाल कला वि मलाध्यम
                                                                                         े
          को
                                                षु
                जलाते िैं नक भलाषला तो िमलारला सभी कछ िै लेनकि   और सलाधि िै जो उसे समलाज और र्ररवलार में एक संर्न्न व्यशक्तत्व
        उसको ठीक शब्दों में र्ररभलावषत कसे करें? भलाषला कला सटीक अथ्य   क रूर् में र्िचलाि हदललाती िै तथला उसकला स्लाि निधला्यररत करती
                                   ै
                                                                े
                                                                                            े
        और उसकी सलाथ्यक र्ररभलाषला नकन्हीं  शब्दों में ििीं की जला सकती   िै। क्ोंनक व्यशक्त कला र्ूरे समलाज क सलाथ-सलाथ उसक निजी
                                                                                                           े
        बब्कि उसे तो िमलारी भलाविलाओं और जीविर्र््यत अिषुभवों क सलार   र्ररवलार में क्ला स्लाि िै र्ि भी उसकी भलाषला से िी निधला्यररत
                                                      े
                                                                               े
        से समझला जला सकतला िै। भलाषला एक ऐसी सिज प्रहक्रर्ला र्ला सलाधि   िोतला िै। उदलािरण क तौर र्र अगर कोई व्यशक्त अर्िे भलावों को
        िै जो िमलारे र्लास बलालर्ि से िी स्वलाभलाववक रूर् से आ जलाती िै।   व्यक्त करिे क ललए अर्शब्दों भरी भलाषला कला प्रर्ोग करेगला तो
                                                                          े
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        एक छोटला सला बलालक जब इस संसलार में आख खोलतला िै तो    निश्चित िी उसे िर किीं घृलणत भलाव से िी दखला जलार्ेगला, विीं
        सबसे र्िले वि नकलकलारी मलारकर शजस आवला्ज़ क सलाथ अर्िी   अगर कोई व्यशक्त मीठी वलाणी क सलाथ सिज और स्रीर् भलाषला
                                                े
                                                                                        े
        भलाविलाओं को व्यक्त करिे की कोशशश करतला िै, वि भी भलाषला   कला प्रर्ोग करेगला तो उसे िर किीं सम्लाि और प्रेम वमलेगला ।
                                                    षु
        िी िोती िै। भलाषला वि िै शजसे एक िन्हला बलालक अर्िी ततललाती   र्े तो रिी भलाषला की एक भलावमर् व्यलाख्ला । अब िम भलाषला को
                                                                                                षु
        हुई आवला्ज़ में ऊबड़-खलाबड़ शब्दों को मेल जोड़कर कछ कितला   लेकर अन्य तलात्त्वक र्क्षों को लेकर भी कछ बलातें समझ लें।
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        िै। भलाषला वि िै, शजसे बड़ला िोतला हुआ बच्ला अर्िी मलाँ-हर्तला   भलाषला मिषुष्य क ववकलास में एक अयिशधक मित्त्र्ण्य घटक िै।
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        और अन्य र्ररवलारजिों क बीच रिकर सीखतला समझतला िै और    भलाषला व्यशक्त क समूचे संचलार और सलामलाशजक संबंधों कला आधलार
                                                                          े
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        हिर अर्िी आवला्ज़ में उसी सीखे हुए सलाधि को स्वर दकर व्यक्त   िै। भलाषला से िी व्यशक्त ववचलार, भलाविलाओं और जलािकलाररर्ों को
        करतला िै। भलाषला वि िै शजसक मलाध्यम से विी बलालक अर्िी   एक-दूसरे क सलाथ सलाझला करिे में सक्षम बितला िै । भलाषला से
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                                                                        े
        ववद्यला ग्िण करतला िै । भलाषला िी वि सलाधि िै शजससे विी छोटला   समलाज में र्रस्र सिर्ोग और वमरितला क भलाव कला संचलार िोतला
                                                                                               े
        सला बलालक अर्िी मवत से भलावलािषुसलार र्ूरे समलाज से अर्िला संबंध   िै, जो समलाज की सलामूहिक प्रगवत और सलामलाशजक संरचिलाओं क
                                                                                                                े
        बिलातला िै। कििे कला तलात्पर््य र्ि िै नक भलाषला एक िन्हे से शशश  षु  ववकलास में सिलार्क िोतला िै। भलाषला से िी संर्ण्य ज्लाि कला संचलार
                                                                                                  ू































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