Page 84 - आवास ध्वनि
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         ऐसला ि िो सक तो उस सकलामतला की वृवत को ऐसला मोि द दिला   सलाकलाम व्यशक्त को िीि दृहटि से दखतला िै लेनकि श्ी ििषुमलािजी
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                                                                                                         े
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         चलाहिए शजससे वि निष्कलामतला की वृवत में र्ररववतत िो जलाए।   मिलारलाज इसक अर्वलाद  िै। उर्निषद में एक प्रसंग क अिषुसलार
         रलामचररत मलािस में वण्यि िै नक भगवलाि रलाम र्व्यत र्र आसीि   जब ििषुमलाि जी से र्ूछला गर्ला िै नक व्यशक्त को सलाकलाम रििला
                                                      षु
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         िै, और चलार व्यशक्त उिक र्लास बैठ हदखलाई द रिे िैं। ‘सग्ीव’   चलाहिए र्ला निष्कलाम? तो ििषुमलाि जी िे उत्तर हदर्ला नक मैं ििीं
                                                                                                              षु
                                                                                                      षु
         की गोद में भगवलाि रलाम कला शसर िै, ववहभषण भगवलाि रलाम क   चलाितला नक सभी व्यशक्त निष्कलाम बि जलाए नकन् िमलारे प्रभ से
                                                          े
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         कलाि क र्लास बैठ हुए िैं तथला ‘ििषुमलािजी’ और ‘अगदजी’ चरण   कछ मलांगिला मझे अच्ला ििीं लगतला। इसललए लोगों क मि में जो
                                                                                            ैं
                                                                            षु
         दबला रिे िैं। इस प्रकलार चलार व्यशक्त भगवलाि क निकट िैं। इिमें   कलामिला िो, वो मझसे किें । क्ोंनक मिे र्िी व्रत ललर्ला िै जो भी
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                                                                                              ू
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         से दो व्यशक्त सलाकलाम िैं तथला दो निष्कलाम अगदजी और ििषुमलाि   रलाम भक्त िोगे मैं उिकी मिोकलामिलाए र्ण्य करुगला। सषुन्रकलाण्ड
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                                                                                ं
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         जी निष्कलाम िैं। सग्ीव तथला ववभीषण सलाकलाम िैं भगवलाि रलाम िे   में अिवगित समस्यलाए जो व्यशक्त क जीवि में आती िै उिकला
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         अिोखला कलाम नकर्ला नक सलाकलाम को तो शसरिलािे और बगल में   समलाधलाि हदर्ला गर्ला िै। सषुन्रकलाण्ड सषुििे की र्िी सषुन्र शैली
                                                               िै नक र्िले वक्तला स्वर्ं उसमें िूबे और हि र गोतलाखोर की तरि
                               ै
         वबठलार्ला और निष्कलाम को र्रों र्र इससे भगवलाि रलाम सभी को   रिस्यमर्ी मोती ललाकर श्ोतला को द। सषुन्रकलाण्ड ऐसला कलाण्ड िै
                                                                                           े
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         र्ि आविलासि द रिे िैं नक मेरे र्लास जो सलाकलाम व्यशक्त भी आतला   जिलां वक्तला कथला क बीच िूब जलातला िै । इस कलाण्ड में एक ओर
                                                                             े
         िै तो सकलामतला क कलारण उसे कम ििीं मलाितला वरि र्ूरला सम्लाि   र्हद ववभीषण को रलाज्य वमलला तो ििषुमलािजी को भशक्त वमली।
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         दतला हू ।                                             इसकला अहभप्रलार् िै नक सषुन्रकलाण्ड क द्लारला सकलाम की कलामिला
                                                                                            े
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         ‘सषुन्रकलाण्ड’ की र्िी ववशेषतला िै शजस कलारण र्ि कलाण्ड जि-  र्ण्य िोती िै तथला निष्कलाम को सेवला एवं भशक्त प्रलाप्त िोती िै।
                                                                                                         े
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         हप्रर् िै। सबसे मित्वर्ण्य बलात तो र्ि िै नक इस कलाण्ड में मषुख्   शजस व्यशक्त को जो वस् चलाहिए वि इस सषुन्रकलाण्ड क मलाध्यम
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         दवतला ‘श्ी ििषुमलािजी’ तथला ‘जिकिंदिी’ ’श्ीसीतलाजी’ िैं । सयि   से प्रलाप्त कर सकतला िै ।
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         र्ि िै नक श्ी ििषुमलािजी की भूवमकला में शजतिी ववववधतलाए तथला                         n सुशरील कमार शमाद्ध
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         ववलक्षणतलाए िैं वि शलार्द िी नकसी अन्य में हदखलाई द । समलाज                        ए जी एम (प्र.), सेवलानिवृत
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         में बहुधला दखला जलातला िै नक जो व्यशक्त निष्कलाम िोतला िै वि                               एम टी एि एल
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