Page 36 - आवास ध्वनि
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संतकता आयांोगा, कन्द्ीयां अन्वषार्ण ब्यूूरोो, भ्रष् टाचारो
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निनारोोधक ब्यूूरोो, आहिंदे।
2. किनायमेंं काा पृा�ना और किनागृरानाी: संभाी कमेंकचारोी औरो
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अजिधकारोी यां� संुनिनाश्वि�त करों निक व संंगाठना क द्वाारोा
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निनाधाकरिरोत निनायांमेंं व नाीमितयांं का पालना करो रो�े �ं।
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निनायांमेंं व नाीमितयांं क उल्लींघना की ब्धिस्थामित मेंं जाांच औरो
कायांकवा�ी की जााती �ै।
3. प्रशि�क्ष� और �ागृरूकाता: कमेंकचारिरोयांं को निनावारोक
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संतकता क बोारोे मेंं जाागारूक निकयांा जााता �ै। उन्हीं यां�
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बोतायांा जााता �ै निक भ्रष्टाचारो औरो अनिनायांमिमेंतताओंं सं े
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बोचना क लिलएँ क्योा कदेमें उठाएँ जाा संकत �ं।
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4. ऑना�ाइना किनागृरानाी और डर्टूा वि�श्लेेष�: नि�जिजाटल
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तकनाीकं का उपयांोगा करोक कामेंकाजाी प्रौहिंक्रयांाओंं औरो
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मिवत्तीयां लना-देना की निनागारोानाी की जााती �ै। यां� ना कवल
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पारोदेजिशता बोढ़ाता �ै, बोब्धि� भ्रष्टाचारो क मेंामेंलं को
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जाल्दी पकड़ना मेंं भाी मेंदेदे करोता �ै। �ै औरो लोगा अपना कायांं क प्रौमित अजिधक जिजाम्मुदेारो
बोनात �ं।
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5. संामेंाजि�का संहैंभाामिगृता और संूचनाा काा आंदााना-प्रदााना:
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निनावारोक संतकता को प्रौभाावी बोनााना क लिलएँ संमेंाजा 4. काानानाी दाावियत्वं काी पृवित: यां� संुनिनाश्वि�त करोता �ै निक
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औरो नाागारिरोकं को भाी शामिमेंल निकयांा जााता �ै। निकसंी भाी संभाी संरोकारोी औरो निनाजाी संंस्थााएँ अपना कानानाी देाजियांत्वं
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तरो� की अनिनायांमिमेंतताओंं क बोारोे मेंं नाागारिरोकं को संजिचत का पालना करो रो�ी �ं औरो निनायांमेंं क उल्लींघना सं बोच
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निकयांा जााता �ै औरो उनाकी रिरोपोटक को गाभाीरोता सं लिलयांा रो�ी �ं।
जााता �ै।
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किना�ारका संतकाता काा मेंहैंत्व
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1. भ्रष्टााचार काी रोकाथाामें: निनावारोक संतकता क मेंाध्यमें सं े किनाष्कषध
भ्रष्टाचारो औरो अनिनायांमिमेंतताओंं क खिखलाफ एँक मेंजाबोूत निनावारोक संतकता एँक अत्यंत में�त्वपूर्णक प्रौहिंक्रयांा
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ढांांचा तयांारो �ोता �ै। यां� कायांं की निनाष्पक्षेता औरो �ै, जिजासंका उद्देश्य भ्रष्टाचारो, अनिनायांमिमेंतताओंं औरो
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पारोदेजिशता संुनिनाश्वि�त करोता �ै। कप्रौबोंधना को रोोकनाा �ै। यां� एँक ऐसंा तत्री �ै, जाो
निकसंी भाी संंगाठना क लिलएँ पारोदेजिशता औरो ईमेंानादेारोी
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2. संा�ध�किनाका वि�श्वाासं मेंं �शिर्द्: जाबो नाागारिरोकं को
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यां� भारोोसंा �ोता �ै निक संरोकारोी औरो निनाजाी संंस्थााएँ को संुनिनाश्वि�त करोता �ै। यांहिंदे इसं सं�ी तरोीक सं े
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लागा निकयांा जााएँ, तो यां� ना कवल संंस्थााओंं की
पारोदेजिशता क संाथा कामें करो रो�ी �ं, तो उनाका मिवश्वासं कायांकप्रौर्णाली को संधारो संकता �ै, बोब्धि� संमेंग्रे संमेंाजा
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बोढ़ता �ै, जाो अततः रोाष्ट् की मिवकासं प्रौहिंक्रयांा को गामित मेंं संकारोात्मक बोदेलाव लायांा जाा संकता �ै।
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प्रौदेाना करोता �ै।
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3. संमेंा� मेंं नावितकाता काा वि�काासं: निनावारोक संतकता क u ाका� कामेंार डागृर
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उपायां संमेंाजा मेंं नामितकता औरो ईमेंानादेारोी को बोढ़ावा नाो�ल अजिधकारोी, वरिरोष्ठा प्रौबोन्धक (संजिच.)
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देत �ं। इसंसं संमेंाजा मेंं एँक संकारोात्मक परिरोवतकना आता संतकता मिवभाागा
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