Page 32 - आवास ध्वनि
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बंहुभााविषकाता काी संंकाल्पनाा
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भााषाा संाथाकक ध्वनिना संमें� का व� रूप �ै जिजासंक द्वाारोा की उपादेयांता निनारोथाकक अथावा बोेजााना �ी रो�ती �ै। �ॉ. भाोलानााथा
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भाावाहिंभाव्यूजि� अथावा मिवचारों का आदेाना-प्रौदेाना �ोता �ै। मितवारोी भााषाा का संंबोंध संामेंान्य बोोलचाल मेंं अहिंभाप्रौायां क
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यां�ी व� मेंाध्यमें �ै जिजासंकी सं�ायांता सं संजाकक स्वाानाभामितयांं प्रौकटीकरोर्ण सं मेंानात �ं। उनाक अनासंारो- संामेंान्य बोोलचाल
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को शब्दबोद्ध करोक देूसंरों तक प्रौेमिषात करोता �ै। मेंानाक मेंं व्यूजि� क अहिंभाप्रौायां को देूसंरों क संमेंक्षे प्रौकट करोना वाल े
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हिं�देी कोश क अनासंारो- निकसंी मिवजिशष्ट जाना संमें� द्वाारोा अपना े निकसंी भाी संाधना को भााषाा क� हिंदेयांा जााता �ै। इसंमेंं �ाव-भााव
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भााव, मिवचारो आहिंदे प्रौकट करोना क लिलएँ प्रौयांोगा मेंं लाएँ जााना े तथाा संांकमितकता आहिंदे को भाी संमेंाहिं�त निकयांा जाा संकता �ै।
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वाल शब्द भााषाा क�लात �ं। मिवचारो करों तो �में पात �ं निक बोहुभाामिषाकता सं अहिंभाप्रौायां मिवहिंभान्न भााषााओंं को जाानाना औरो
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अपना मिवकासंक्रमें मेंं मेंनाुष्य ना हिंभान्न-हिंभान्न भााषाा रूपं क सं�ारोे प्रौयांोगा करोना सं �ै। देूसंरोे शब्दं मेंं हिंभान्न भााषाा-भाामिषायांं क संाथा
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अहिंभाव्यूजि� को मिवकजिसंत निकयांा �ै। यां� अनामेंाना �ी �ै निक परोस्परो भाावानाभामितयांं क आदेाना-प्रौदेाना �ेत हिंभान्न-हिंभान्न भााषाा
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बोहुत आरोंभा मेंं उसंना कछ संंकत अथावा ध्वनिनायांं क सं�ारोे तथाा उपभााषााओंं का व्यूव�ारो बोहुभाामिषाकता क�लाता �ै।
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�ी एँक देूसंरोे सं संंप्रौषार्ण निकयांा �ोगाा, तदेनांतरो कछ ध्वनिनायांां संामेंान्यतः देखा जााएँ तो निकसंी भाी देश मेंं मिवहिंभान्न भााषााओंं
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संभाी मेंं एँक संमेंाना �ोती चली गाई �ंगाी औरो हिंफरो धीरोे-धीरोे तथाा उपभााषााओंं का व्यूव�ारो �ोता �ै निकत संंवधानिनाक दृहिंष्ट
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शात्यिब्दक स्वारूप संामेंना आयांा �ोगाा। यां� व� अवस्थाा थाी जाबो सं कछ �ी देश ऐसं �ं जा�ां तीना अथावा अजिधक भााषााओंं को
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कवल संंप्रौषार्ण में�त्वपूर्णक थाा। क्योंनिक इसं अवस्थाा मेंं भााषाा मेंान्यता प्रौाप्त �ै। आकड़ं अथावा संवक्षेर्णं क आधारो परो देख ं
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का कोई लिलखिखत अथावा शुद्ध रूप मिवकजिसंत ना�ं हुआ थाा, तो मिवश्व क मिवहिंभान्न देशं मेंं कई �जाारो भााषााएँ बोोली तथाा
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इसंलिलएँ यां�ां वचारिरोक श्रष्ठाता जासंी बोात भाी ना�ं मिमेंलती। संमेंझी जााती �ं। अकल भाारोत मेंं �ी कोसं-कोसं परो बोदेल े
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क्योंनिक संमेंजिचत भाामिषाक क्षेमेंता क अभााव मेंं वचारिरोक श्रष्ठाता पानाी, चारो कोसं परो बोदेल बोानाी नाामेंक क�ावत प्रौजिसंद्ध
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