Page 31 - आवास ध्वनि
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                 मेंहिं�ला कथााकारों ना जा�ां संंवदेनाा का रुप-स्वारुप स्पष्ट करो   उसंक काल लबोूतरोे च�रोे क बोीच मेंुं� क अदेरो घमेंती कत्थई
                 भाावाहिंभाव्यूजि� की, व�ी भााषाा का स्वाच्छे स्वाच्छेदे रूप प्रौस्तुत   - लाल जाबोाना  कीड़ं परो झपटती मिछपकली की यांादे हिंदेलाती
                                                       ं
                                                                                         ृ
                                                                                                                  े
                                                                                                 े
                 निकयांा �ै।                                          �ै”।ƒ‹ इसंमेंं लेखिखका मेंदेुला गागाक ना नाएँ-नाएँ प्रौयांोगा निकयां �ै।
                                                                                                          े
                                                                                       ं
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                 �ोकाोवि�यां और मेंहैंा�रे काा प्रयोगृ : मेंहिं�ला कथााकारों ना  े  श्रीव्यू  विबंबं:  श्रव्यू  मिबोबो  का  संंबोंध  कानां  सं  �ै।में�रूहिंन्नसंा
                                                                             ं
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                                                                                                                ं
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                 अपनाी रोचनााओंं क द्वाारोा में�ावरोे औरो लोकोजि�यांां का प्रौयांोगा   परोवजा ना अपना उपन्यासं ‘अकला पलाश’ मेंं श्रव्यू मिबोबो को
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                                                                                                                 े
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                                        े
                 निकयांा �ै। इना लेखिखकाओंं क पासं मिवशाल शब्द-संंपदेा �ै।   इसं प्रौकारो प्रौस्तुत निकयांा �ै- “संड़क क निकनाारोे ताड़- क ऊच  े
                                                                                                                 े
                                                                           े
                                                                         े
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                 इनाकी  भााषाा  पात्री  एँव  वातावरोर्ण  क  अनासंारो  में�ावरोे  औरो   ऊच पड़ �वा मेंं हिं�ल रो�े था औरो उनाक बोड़- बोड़ पत्त खबो
                                    ं
                                                    ु
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                 लोकोजि�यांां  का  प्रौयांोगा  निकयांा  गायांा  �ै।  जाो  निक  इसं  प्रौकारो   शोरो करो रो�े थाे, जासं चीख-चीखकरो क� रो�े �ो, लौट आओं
                                                                                                 े
                                                                                                               ं
                                                                                          ं
                 सं �ै-                                               लौट आओं”। लेखिखका चद्राकांता ना ‘ऐलाना गाली जिजादेा �ै’ मेंं
                   े
                                                                      श्रव्यू मिबोबो का प्रौयांोगा प्रौस्तुत निकयांा �ै- “एँकाध बोारो निकसंी की
                                                                            ं
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                                 े
                 “मिबोल्लीी क भााग्य सं छंका टूटा”।                   परोछाई देरोवाजा क पासं �ाली, धीमेंी- संी �ंसंी खनाकी, ज्यों
                                                                                    े
                                                                                  े
                                    े
                 “उधरो क्योा भााड़ झंकना जाात �ो”।                     कई छोटे- छोटे घुंघरू छना-छना बोजा उठ �ो”।
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                                                                                                    े
                 “अपनाा देूध पतला �ो गायांा तो परोाई संंताना निटक क्यों आना   घ्राा� विबंबं: घ्राार्ण मिबोबो सं अहिंभाप्रौायां संूंघना सं �ै। इसंका प्रौयांोगा
                                                                                                        े
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                                                                                     ं
                                                                            ं
                 करों”।                                               कमें सं कमें हुआ �ै । मेंदेुला गागाक ना ‘में औरो मेंं’ उपन्यासं मेंं घ्राार्ण
                                                                                                  ं
                                                                           े
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                                                                                       ृ
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                 अ�ंकाारं काा प्रयोगृ : मेंहिं�ला कथााकारों ना अपनाी रोचनााओंं   मिबोबो  का प्रौयांोगा निकयांा �ै- “संस्त तबोाक की तीखी गांध औरो
                                                                        ँ
                 मेंं उपमेंा, दृष्टांत, अनाप्रौासं औरो मेंानावीकरोर्ण आहिंदे अलकारों   धुएँ की वजा� कमेंरोा, कब्रा की घुटना लिलएँ हुएँ �ै”।
                                                              ं
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                 का प्रौयांोगा निकयांा। - “तव परो जिसंकती हुई रोोटी की तरो� अपना  े  स्प�ध विबंबं : स्पशक मिबोबो का संंबोंध त्वचा यांा में�संसं करोना सं  े
                                     े
                                                                                                                   े
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                 च�रोे परो उभारोे हुएँ मिमेंलना- मिवयांोगा क मिबोखरोाव को मेंना पलटा”।     �ै। स्पशक मिबोबो  का प्रौयांोगा उपन्यासंं मेंं अजिधक मिमेंलता �ै।
                                                                               ं
                 उपमेंा अलकारो का प्रौयांोगा लेखिखका ना  इसं वाक्यो मेंं निकयांा �ै।-   लेखिखका  हिंदेनाेशनाहिंदेनाी  �ालमिमेंयांा  ना  अपना  उपन्यासं  ‘कदेील
                          ं
                                              े
                                                                                                                 ं
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                 “परों मेंं जासं परोेशानाी  क घुंघरु बोांधकरो में ट�लना लगाती”।   का धआ’ मेंं स्पशक मिबोबो का मेंनामेंो�क रूप प्रौस्तुत निकयांा �ै।
                                                    ं
                                                          े
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                                                                 े
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                 इसं  वाक्यो  मेंं  दृष्टांत  अलकारो  का  प्रौयांोगा  निकयांा  �ै।  “उनाक   “गालाबो जाल सं हिंपसं हुएँ चदेना की तरो� संंवदेनाा का लेप
                                                                                             ं
                                                                                       े
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                 निनामेंकमें कथानां क �ाथा मेंना की झील ठ�रोे पानाी को उल्टे अस्त-  बोनाकरो उसंक शरोीरो क संाथा लगा रो�ना की  मेंरोी कल्पनाा �रो
                              े
                                                                                                          े
                                                                                े
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                                                                                       े
                                                ं
                 व्यूस्त �ी करोत �ै”। मेंानावीकरोर्ण अलकारो का प्रौयांोगा निकयांा     संमेंयां मितरोस्कृृत �ोती चली गाई, तो मेंझ लगाा निक इसंक मेंूल
                              े
                                                                                                     े
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                 गायांा �ै।                                           मेंं कोई कारोर्ण मिवशषा भाी �ो संकता �ै”।
                                                                                     े
                 विबंबं-वि�धीाना:  मिबोबो-मिवधाना  का  प्रौयांोगा  प्रौत्येक  मेंहिं�ला   स्वादा विबंबं :  इसंका संंबोंध जिजाह्वाा सं �ै।इसंका प्रौयांोगा मेंहिं�ला
                                ं
                                                                                                  े
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                 कथााकारों ना अपनाी रोचनााओंं क आधारो परो निकयांा �ै। ‘मिबोबो’   कथााकारों ना अपना संाहिं�त्य मेंं यांदेा-कदेा निकयांा �ै । लेखिखका
                            े
                                                                ं
                                                                               े
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                                       े
                 का अथाक ‘मेंना  क द्वाारोा खंच गाएँ जिचत्री’।  उपन्यासंं मेंं भााषाा क   उषाा हिंप्रौयांंवदेा क उपन्यासं‘शषायांात्रीा’ मेंं इसंका रुप- स्वारुप
                                                                                             े
                                                                                  े
                 अतगाकत मिबोबो का रुप- स्वारुप स्पष्ट निकयांा गायांा �ै।  मेंहिं�ला   प्रौस्तुत निकयांा �ै –“अकलेपना क �रो का भाी जासं एँक रूखा-
                          ं
                                                                                               े
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                                 े
                 कथााकारों ना अपना उपन्यासंं मेंं मिबोबों का संंबोंध इहिंद्रायांं सं  े  संखा, ताल सं जिचपका स्वाादे �ै”।
                                े
                          ं
                 मेंानाा �ै।  इहिंद्रायांं क द्वाारोा �ी भाावं का प्रौयांोगा संाथाकक मेंानाा �ै ।   संमेंग्रत: क�ा जाा संकता �ै- इना मेंहिं�ला कथााकारों ना अपना  े
                                                                                                                 े
                 मिवहिंभान्न मिबोबों  का प्रौयांोगा हुआ �ै जासंे- दृश्य ,श्रव्यू, घ्राार्ण, स्पशक   संाहिं�त्य मेंं भााषाा का प्रौयांोगा पात्रीानाकल औरो परिरोवेशनाकल
                                            ै
                         ं
                                                                                                                   ू
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                            ं
                 औरो स्वाादे मिबोबो आहिंदे ।                          करोना का प्रौयांासं निकयांा �ै।इना लेखिखकाओंं ना अपना उपन्यासंं मेंं
                                                                                                       े
                                                                                                            े
                                                                         े
                                 ं
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                 दृश्य विबंबं: दृश्य मिबोबो का बोड़ा में�त्व �ै। इसंका संंबोंध आखं   शब्द-संंपदेा का व्यूापक औरो मिवस्तृत रूप तो  प्रौस्तुत निकयांा �ै
                        ं
                   े
                 सं �ोता �ै। मेंहिं�ला कथााकारों ना अपना संाहिं�त्य मेंं दृश्य औरो   संाथा �ी भााषाा का  संरोल - सं�जा औरो स्पष्ट रुप प्रौस्तुत निकयांा
                                                े
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                 श्रव्यू मिबोबो क अनाेक उदेा�रोर्ण प्रौस्तुत निकएँ �ं। लेखिखका मेंदेुला   �ै।  में�ावरोे,लोकोजि�यांां,अलकारों औरो मिबोबो-मिवधाना का संुंदेरो
                                                              ृ
                                                                       ं
                 गागाक ना  उपन्यासं ‘में औरो मेंं’ मेंं दृश्य मिबोबो का वर्णकना इसं प्रौकारो   एँव संफल  प्रौयांोगा निकयांा �ै ।
                                ं
                      े
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                 निकयांा �ै- “पाना इतनाा खाता �ै निक जाबोाना औरो देांतो का रोंगा                  u डॉ. रा�कामेंारी �मेंा ध
                                                                                                             ु
                 कीचड़ जासंा �ो गायांा �ै। बोात करोत हुएँ, कील-में�ासंं सं भारोे                         अजिसंस् टंट प्रौोफसंरो
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