Page 29 - आवास ध्वनि
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मेंमिहैं�ा काथााकाारं का संामिहैंत्य मेंं भााषा और संं�दानाा
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                 भााषाा  भाावं  औरो  मिवचारों  की  संंवाहिं�का  �ै।  मेंनाुष्य  संभाी   मेंहिं�ला कथााकारों ना भााषाा का प्रौौढ़ औरो परिरोष्कृृत रूप ग्रे�र्ण
                                                                                      े
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                                  े
                 जाीवधारिरोयांं मेंं संबोसं श्रष्ठा �ै, क्योंनिक उसंक पासं बोोलना की   निकयांा �ै। लेखिखकाएँ अपना मेंना मेंं उठना वाली मिवमिवध भाावनााओंं
                                                                                          े
                                                                                                   े
                                                                                     ं
                 ताकत �ै। मेंानाव अपनाी भाावनााओंं का प्रौयांोगा भााषाा क द्वाारोा   को अहिंभाव्यू� करोना मेंं संक्षेमें रो�ी �ै। जिशक्षेा औरो अनाभावं सं  े
                                                            े
                                                                                     े
                                                                                                                ु
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                                                         ु
                 करोता �ै। भााषाा क संंदेभाक मेंं �ॉक्टरो रोामेंस्वारूप चतवदेी क�त  े  जाो कछ इन्हींना ग्रे�र्ण निकयांा अपना कथाा- संाहिं�त्य मेंं व्यू�
                                                                                                 े
                                                                                  े
                                                                          ु
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                 �ं- “भााषाा कवल संाहिं�त्य मेंं �ी प्रौयां� ना�ं �ोती वरोना मेंानाव   करोना का प्रौयांासं निकयांा। उनाकी भााषाा मेंं शब्द-भा�ारो पयांाप्त
                                                                         े
                                                                                                             ं
                                                                                                                    क
                                              ं
                 जाीवना की प्रौहिंक्रयांा का एँक अहिंभान्न अगा �ै। संाहिं�त्यकारो जिजाना   मिवस्तृत �ै। मेंहिं�ला कथााकारों क पासं लेखना क प्रौमित निनाष्ठाा
                                                                                                            े
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                 अनाभामितयांं को व्यू� करोनाा चा�ता �ै, उसंका पवक-रुप उसं  े  औरो संमेंपकर्ण भााव �ै, इसंलिलएँ जाो कथाावस्त उभारोकरो आती �ै।
                                                                                                        ु
                                               ं
                 भााषाा मेंं उपलब्ध हुआ �ोगाा। उसं अतरोमेंथाना की भााषाा का   व� भाी प्रौमेंालिर्णक बोनाती �ै। इना क कथाा- संाहिं�त्य मेंं संजि�यांां,
                                                   ं
                                                                                               े
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                 रूप क्योा �ै ? क्योंनिक व� तो रोचनाा-संहिंष्ट क पवक �ी उसंक   लोकोजि�यांां,  में�ावरोे  का  प्रौयांोगा  बोड़ी  सं�जाता  क  संाथा
                                                 ृ
                                                                                                                े
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                 व्यूजि�त्व मेंं अवब्धिस्थात �ै।  उसंकी काव्यू-भााषाा उसंक भाावं   निकयांा �ै।
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                 सं यांहिंदे निनाधारिरोत �ोती �ै, तो  उसंक संंवदेनाा की भााषाा उसं  े
                                               े
                                                   े
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                                                                                             े
                 क�ां  मिमेंलती  �ै?  उसंकी  व्यूापकता  अनाभामितयांं  की  भााषाा   मेंहिं�ला  कथााकारों  ना  अपना  कथाा-संाहिं�त्य  मेंं  भााषाा  का
                                                    ू
                                                   ु
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                 क्योा �ै? क्योा एँक स्तरो परो उसंकी मिवकजिसंत भााषाा का स्वारुप   व्यूापक  औरो  परिरोष्कृृत  रूप  �मेंारोे  संामेंना  प्रौस्तुत  निकयांा  �ै।
                                                                                   े
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                 �ी, जाो उसं संमेंाजा सं मिमेंला �ै, उसंकी व्यूापक अनाभामित को   इना लेखिखकाओंं ना नाारोी मेंना की संंवदेनाा औरो पीड़ा को करुर्ण
                                   े
                                                                                    े
                                                                                                                ू
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                 निनाधारिरोत ना�ं करोता? क्योा ऐसंा ना�ं �ै निक जाो भााषाा जिजासं �दे   रुप मेंं व्यू� करोना का प्रौयांासं निकयांा �ै। लेखिखका संयांकबोाला
                                                                                   े
                                                                                                       े
                                                                                     ं
                                                                               ु
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                 तक मिवकजिसंत औरो परिरोष्कृृत �ोती �ै, उसंी क अनाुरूप उसंक   उपन्यासं ‘संबो� क इतजाारो’ मेंं मेंानावीयां संंवदेनाा का पात्रीं द्वाारोा
                            े
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                                                                                   े
                 उपयांोगा करोना वालं की संंवदेनाा बोनाती �ै”। भााषाा औरो संंवदेनाा   त्यागा औरो प्रौमें क भााव को प्रौस्तुत करोना का प्रौयांासं निकयांा �ै।
                                           े
                                                                                                       े
                                                                                                                े
                 का  अटूट  संंबोंध  �ै।  संमेंाजा  क  द्वाारोा  प्रौाप्त  भााषाा-मिवनिनामेंयां   उपन्यासं मेंं नााजियांका गारोीबोी औरो �ीनाता सं त्रीस्त  �ोत हुएँ भाी
                                               े
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                 क रुप- स्वारुप को जाानाकरो व� उसं अपना अनाुरूप �ालता   अपना भााई क प्रौमित संंवदेनाभााव को प्रौकट करोती �ै। उसं आगा  े
                                                    े
                                                                                        े
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                 �ै। प्रौत्येक रोचनााकारो अपना अपना यांगा एँव भााषाा का प्रौयांोगा   बोढ़ना क लिलएँ अपनाी निनाष्ठाा एँव प्रौमें को संमेंहिंपत करोत हुएँ
                                       े
                                                                                                                  े
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                                                                                                           ि
                                                                                               ं
                                                                          े
                 करोता �ै।                                            क�ती �ै – “मेंरोा जाीवना अवजिध मेंं छोटा भाल �ी रो�ा �ो, परो
                                                                                  े
                                                                                                         े
                                                                                                                  29
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