Page 51 - चिरई - अंक-3
P. 51
े
ं
अधधक सभावनाओं क कारकों को भी शानमल नकया जा रहा ह ै
े
और इस प्रकार, अंनतम अवसरों, छुटकार क अवसर और लौनकक
े
भाग्य की जादुई औषधध बनाता ह। शतरज क खेल को खेलने
ै
ं
े
े
क धजतने तरीक हमार रिह्ाण्ड में तार ह, उससे कहीं अधधक
े
े
े
ैं
ह। औसत शतरज ग्रडमास्र इसी अवधध में नवंबलडन क पुरुष
ैं
े
ैं
ं
धखलाड़ी की तुलना में अधधक कलोरी का उपभोग करता ह। यह
ै
ै
ं
शतरज क धखलाड़ी क धसर क अंदर 'रिेन फॉग' की ओर ले जाने
े
े
े
एक राजा का नेतृत् नननहत होता ह क्ोंनक एक राजा नववेक
ै
ै
बनाए रखने में अच्ा होता ह जबनक पूरी दुननया उसे दोष द े
ै
रही ह, एक राजा अपनी बुनधि क धलए भाग्य और आपदाओं को
े
एक समान मान सकता ह। एक राजा सामान्य स्पश्क खोए नबना
ै
ै
मानव जानत क सबसे अच् लोगों क साथ चलता ह। एक राजा
े
े
े
ै
े
सपने दख सकता ह लेनकन उन् अपना माधलक नहीं बनाता।
ें
ै
एक राजा न तो दोस्ों से दुखी होता ह और न ही दुश्मनों से।
वाली अननगनत अनत सभावनाए भी पैदा करता ह। 'पागल रानी
ं
ं
ै
ं
े
ू
ं
ै
शतरज' हमें दवी काली की क्ररता की याद नदलाती ह।
ं
ं
े
एक रानी शतरज की नबसात क चारों ओर स्वतत् रूप से घूम
ै
ै
सकती ह, राजा क नवपरीत जो एक समय में एक चाल चलता ह।
े
इससे पता चलता ह नक एक मनहला की प्रनतष्ठा को पुनजतीनवत,
ै
ै
पुनजतीनवत और पुनजतीनवत नकया जा सकता ह, जबनक पुरुष की
े
ै
प्रनतष्ठा एक बार खो जाने क बाद वापस नहीं जीती जा सकती ह।
े
ु
सब मनुष्य राजा पर, यहा तक नक उसक शत्ओं
ूँ
पर भी भरोसा करते ह। गनतरोध की अवधारणा
ैं
े
को अधधक जनटलता और नवनवधता लाने क धलए
आनवष्कार नकया गया था क्ोंनक यह प्रनतद्द्ी
ं
को खेल जीतने क धलए बचाव योग्य प्ादों से
े
ं
ै
ं
रोकता ह (नवविनाथन आनद की शतरज खेलने की
शैली का एक रहस्)। यह ल्लिटजक्रग शतरज को
ं
े
्
ै
ै
मारता ह और इसे और मजेदार बनाता ह। इसमें
े
ै
"सादहत् क हर पथ पर हमारा कारवाँ तेजी से बढ़ता जा रहा ह।" 51
ृ
्ध
षे
- रामवृक् बेनीपुरी हडको, क्त्रीय काययालय, कोलकाता करी अर्वार्षिक हहन््दरी गह पहत्का