Page 54 - चिरई - अंक-3
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एक िवाल





                     एक सवाल खड़ा ह आि
                                      ै
                       े
                           ै
                 क्ा दश ह अपना दप्शण क समान
                                         े
                 हर रोि िब सड़कों पर ननकलते ह    ैं
                                      े
                     करता ह कोई पॉकटमारी
                            ै
                            ै
                  तो करता ह कोई ठगी बािार महें
                        े
                  तो चौड़ होकर मोटरवाले करते ह  ैं
                         ट्कफक उल्घन
                          ै
                                     ं
                   ऊच-नीच का भाव ह हदखता
                                      ै
                     ं
                       जशक्ा का हो क्त्र या
                                     े
                  अस्पताल महें हो इलाि की बात

               ऊचीं पदवी वाले का होता पहले काम

                             इसजलए

                                      ै
                     एक सवाल खड़ा ह आि
                 क्ा दश ह अपना दप्शण क समान
                       े
                                         े
                           ै



















                        वरूण क ु मेार सिंह
                              ं
                         वररष्ठ प्रर्िक (प्रशािन)

           54        अंक-3 :  अप्रैल 2022 - मार््च  2023                           "दहंिी भारतीय संस्पत की आत्ा ह।" - कमिापपत परिपाठी
                                                                                                    ै
                                                                                             ृ
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