Page 25 - आवास ध्वनि
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बसला ले। वे अिमेल वववलाि क प्रश्न को भी बलार-बलार उठलाते िै; मूल्यों कला निमला्यण कर अर्िी सशक्त्ततला कला र्ररचर् दती िैं।
‘िर्ला वववलाि’ किलािी में वे अिमेल वववलाि क कलारण हुई समस्यला स्वलांतत्रोत्तर कथला सलाहियिकलारों में अमृत ललाल िलागर में ‘बूंद
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र्र प्रकलाश िलालते िैं, र्षुवती आशला कला वववलाि अधेड़ उम् क और समद्र’ रलाजेन्द् र्लादव िे ‘सलारला आकलाश’, शशवप्रसलाद शसि
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गंलागलामल िो िोतला िै शजससे आशला की समस् उमंगें, कलामिलार्ें िे ‘औरत’ मैं र्ररवलार िलामक मूल्य को स्ती कला दूश्ि मलािला िै,
कठठत िो जलाती िै, गंगलामल उससे बलािर चलिे क ललए किते रलाजेन्द् र्लादव मलािते िैं नक िव वववलाहितला वघू की तो संर्षुक्त
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िैं लेनकि कलािी टलालमटोल क बलाद आशला उसक सलाथ कसे र्ररवलार में बड़ी दर्िीर् ब्स्वत िोती िै। ‘सलारला आकलाश’ की
जलाती िै, ‘‘आशला गई लेनकि उमंग से ििीं। शजस मलामूली वेश में प्रभला र्रदला ििीं करती, इससे र्ररवलार में उर्द् मच जलातला िै,‘‘हिर
थी, उसी तरि चल खड़ी हुई। िसजीली सलाड़ी, िे जड़लाऊ गििे, बेटी और बहू मैं िक िी क्ला रि गर्ला। बेटी भी मि खोले, बलाल
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ि कोई शसगलार जैसे कोई ववधवला चल रिी िो’। ‘अस्तन्म शलावत, वबखेरे घूमती रिे और बहू को भी शचन्ला ििीं नक र्ल्ला नकधर
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में उन्होंिे र्रम्परला क ववरुद्ध ववधवला स़्रिी क स्वलाहभमलािी रुर् जला रिला िै’’
कला वण्यि नकर्ला िै। उिकी सलाहित्यिक स्तस्तर्लां र्षुललस तथला
जमीदलारों क अन्यलार् और अयिलाचलार कला िटकर ववरोद्ध करती िैे स्वलांतत्रोत्तर सलाहियिकलार ‘वववलाि’ िलामक मूल्य कला भी ववरोध
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जैसे ‘प्रेमलाश्म’ की ववललामी, ‘गबि’ की जलालर्ला, ‘कम्यभूवम’ की करते िैं, अमृतललाल िलागर क ‘बूंद और समद’ की बड़ी स्टि
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सखदला, सलाथ िी वे दश प्रेमी िलाररर्लांे क रुर् में भी शचहरित की गई ‘शब्दों’ में वववलाि क ववरोध में अर्िी बलात कि दती िै नक वववलाि
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िैं जों िलारी क सशक्त रुर् कला िी र्ररचलार्क बिती िैं। क कलारण िी स्ती को र्ूरे र्ररवलार कला घंघला र्ीटिला र्ड़तला िै;
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बच् जििे र्ड़ते िैं और उिकला र्लालि-र्ोषण भी करिला र्ड़तला िै,
प्रेमचंन्ोत्तर कथला सलाहियि में शचहरित िलारी वि र्िली िलारी िै उषला हप्रर्ंवदला र्रम्परलागत वववलाि क स्वरुर् क ववषर् में अर्िला
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जो र्रम्परलागत िवतकतला की सीमला कला अवतक्रमण कर अर्िे ववरोधी मत व्यक्त करती िै, ‘र्ि िोगी बरलाबर की सलाझेदलारी,
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व्यशक्तत्व क ववकलास क ललए सहदर्ों से कद अर्िे िलारीत्व की ि कोई बड़ला, ि कोई छोटला, ि सषुर्ीररर्र, ि इन्ीररर्र’’ (शेष
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मषुशक्त की आवलाज उठलाती िैं जैिेन्द् अर्िे कथला सलाहितला में स्ती क र्लारिला, उषला हप्रर्ंवदला) रलाजेन्द् र्लादव तो वववलाि को िलारी क ललए
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र्ौि सम्बन्ी प्रश्नों और उिसे उत्पन्न िोिे वलाली ‘कठलाओं’ द्न्द्ों गललामी मलािते िै और गललामी में नकसी कला स्वस् ववकलास ििीं
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एवं तिलावों को प्रमखतला दते िैं, उिक उर्न्यलासों की सषुिीतला, िो सकतला, ‘सलारला आकलाश’ में वववलािोर्रलान् मषुन्नी की ब्स्वत
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सखदला, भविमोहििी, अनितला आहद सभी िलाररर्लां, र्त्नीत्व और कला वण्यि समर क शब्दों में, ‘सलास और र्वत वमलकर जो-जो
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स्तीत्व, वववलाि और प्रेम क द्न्द् से ववकल िलाररर्लां िै अज्ेर् अयिलाचलार करते, उन्हं नकसी से कि तो ििीं सकती थी३३
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को सलाहित्यिक स्तस्तर्लां सलामलाशजक ववशध-ववधलािो, मलाि-मूल्यों, िौकरलािी की तरि अर्िी और अर्िी रखैल की सेवला करवलािला
र्रम्परला एवं र्वला्यग्िों क र्ण्यतर्ला ववरुद्ध िै, वे स्वतंरितला की और दो-दो, तीि हदि खलािला ििीं दती थला’’ उषलाहप्रर्वंदला’
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आकलाक्षी िैं, वववलाि जैसे मूल्य क प्रवत उर्क्षला कला भलाव रखती प्रवतध्वनिर्लां किलािी में वववलाि को दो आत्मलाओं कला वमलि ििी
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िैं। र्शर्लाल तो आधनिक र्ूंजीवलादी समलाज की जज्यर मलान्यतलाओं मलाितीं। ‘वमरिो मरजलािी’ में कष्णला सोबती में वमरिो क मलाध्यम
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और खोखले आदशपो र्र कठोर प्रिलार कर स्ती को सशक्त बिलािे से सलामन्ी मूल्यलांे की बखखर्ला उधेड़ी िै, कष्णला सोबती की
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की हदशला में सलाथ्यक प्रर्लास करते िैं। वे तो स्ती क मलातृत्व र्र वमरिो र्िली बलार र्रम्परलागत मूल्यों क ववरुद्ध जलाकर व्यहिक
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कव्यलात्मक शैली में किते िैं ‘‘ स्ती कला स्लाि मलातला कला जरुर िै, आवश्यकतला की संतषुहटि की गषुिलार लगलाती िै, ‘एक जमीि अर्िी’
वि र्ूजला की र्लारि िै, र्रन् र्ूजला क र्लारि शजतिे भी दवी दवतला में शचरिला मद्गल िीतला क मलाध्यम से र्त्नी ववषर्क ववचलार रखती
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िोते िै वे सब मखन्र में बंद रिते िैं और चलाबी र्षुजलारी की जेब में िैं, ‘मैं र्त्नी ििीं, सिचरी बििला चलािती हू३३र्त्नी मंे मझे दलासीत्व
िोती िै।’’ इस प्रकलार र्रम्परलागत मलातृत्व र्र कठोर प्रिलार नकर्ला की बू आती िै। इस शब्द िे िमलारे समलाज में अर्िी गररमला खो दी
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िै। वे भी वववलाि कला ववरोध कर स्वच्न् प्रेम और अवैध कलाम िै’ ‘बेघर’ उर्न्यलास में ममतला कलाललर्ला, संजीविी कला वववलाि र्व्य
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सम्बंधोें को मलान्यतला दते िैं, उिकी सलाहित्यिक स्तस्तर्लां िवतकतला ववहर्ि क सलाथ शलारीररक सम्बन् स्लाहर्त करिला, उसक द्लारला
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क शघसे-हर्टे बंधिों को तोड़ र्रम्परलागत र्वत निष्ठ प्रेम की ढषुकरलार्े जलािे र्र द्न्द् र्ण्य जीवि जीते हुए बैंक में िौकरी करिला
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र्ववरितला तथला सतीत्व को िोली जलला, र्ररब्स्वत सलार्ेक्ष िर्े और हिर संजीविी कला र्रमजीत की ओर आकटि िो र्षुिः उससे
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