Page 20 - आवास ध्वनि
P. 20

े
                                              ं
                                                                                                        षु
                     ं
         मलाध्यम  में  िवबग  क  सलाथ-सलाथ  सबटलाइटललग  की  भी  बलात   िव-इलेक्ट्लाॅनिक मलाध्यमों तक भी ववस्लार प्रलाप्त कर चकी िै। वेब
                                                                षु
                                                                                       षु
         की जला सकती िै, जो हिल्मों (और टेलीववजि) क संवलादों को   सगवमत मलाध्यम र्ला हिर सलामदलाशर्क मीनिर्ला जैसे मलाध्यमों में
                                                े
                                                                                             ं
           वे
         र्द र्र दूसरी भलाषला में ललखखत रूर् में प्रस्त करिे कला आधलार   स्लािीर्तला, प्रलांतीर्तला, रलाष्टीर्तला एवं अतररलाष्टीर्तला क आर्लामों
                                           षु
                                                                                                         े
                                                                                     े
         शसद्ध िोतला िै। सबटलाइटललग, शसिेमला और टेलीवव्ज़ि जैसे दृश्य   को प्रर्ोक्तला वग्य की भलाषला क जररए र्रोसिे कला कलाम अिषुवलाद
                              ं
                                                                            टि
                                                                                                                े
                                                                                े
                                                    े
         मलाध्यम में र्द अथवला स्कीि र्र ि्ज़र आ रिे दृश्य क दौरलाि   और अिषुवलादकवमर्ों क वबिला संभव ििीं। वेबसलाइट निमला्यण क
                    वे
                                                                                                                े
         र्लारिों द्लारला बोले गए संवलादों-गीतों क शब्दों र्ला हिर संवलाद-  कलाम में र्ला उसे दूसरी आशधकलाररक भलाषला में भी तैर्लार करिे क
                                       े
         रहित श्व्य को ललखखत रूर् में दशला्यई जलािे वलाली सलामग्ी िोती   ललए अिषुवलाद की बैसलाखी लेकर िी आगे बढ़ला जलातला िै। मीनिर्ला
                                                                                               ँ
                                                   े
         िै।  जैसे-जैसे  दृश्य  चलतला  िजर  आतला  िै,  वैसे  उसक  संवलादों   में अिषुवलाद की हभन्न एवं व्यलार्क भूवमकलाए: शजस प्रकलार मषुहद्रत,
                                                                                                  े
                                               े
         आहद कला मषुहद्रत रूर् र्द (स्कीि) क निचले हिस् में ललखला हुआ   इलेक्ट्लाॅनिक और िव-इलेक्ट्लाॅनिक मलाध्यमों क रूर् में जिसंचलार
                                    े
                            वे
                                                                े
                                                                                                         े
                               वे
         ि्ज़र आतला िै। वैसे, र्हद र्द क निचले भलाग में र्िले से िी अगर   क प्रकलार-उर्प्रकलार िजर आते िैं, उसी प्रकलार संचलार क इि सभी
                                 े
                                                                                            टि
                                                                                                         ँ
                                   वे
                                                         टि
         कोई ललखला हुआ िो तो र्ि र्द क शीष्य भलाग र्र भी प्रदशशत   सलाधिों में अिषुवलाद एवं अिषुवलादकवमर्ों की भूवमकलाए भी हभन्न
                                     े
                                                                                            े
         नकर्ला हुआ िो सकतला िै। इससे दश्यकों को उच्ररत संवलाद र्ला   और व्यलार्क िो रिी िैं। वे जिसंचलार क ववहभन्न मलाध्यमों में हभन्न-
         श्व्य की जलािकलारी वमलती िै और सलाथ िी भलाषला ज्लाि अज्यि भी   हभन्न स्रों र्र एवं अलग-अलग रूर् में अिषुवलाद कम्य करते िैं।
                                                                षु
                                                                                े
         ववकशसत िोतला िै।                                      मद्रण और प्रसलारण क ललए सलामग्ी कला अिषुवलाद, और ववशेष
                                                                                                                े
                                                               तौर र्र सलाहित्यिक रचिलाओं कला हिल्म-टी.वी. कलार्क्रमों क
                                 े
         र्वज्ापन का क्षरेरि: जिसंचलार क क्षेरि में ववज्लार्ि अर्िी ववशशटि   रूर् में अिषुवलाद क एक रूर्-ववशेष ’रूर्लांतरण’ बड़ र्ैमलािे र्र
                                                                             े
                                                                                                        े
         र्िचलाि बिला रिे िैं। जिसंचलार क सभी मलाध्यमों से प्रसलाररत िोिे   नकर्ला जलातला िै। इसक अललावला, सीधे (ललाइव) अिषुवलाद , निव्यचि
                                  े
                                                                               े
                                       े
         वलाले ववज्लार्ि वलास्व में अिषुवलादकों क ललए रोजगलार कला बड़ला   (इटरहप्रटेशि) अथवला आखों दखला िलाल जैसे सीधे प्रसलारण में
                                                                ं
                                                                                  ँ
                                                                                       े
         मित्वर्ण्य क्षेरि िै। सलामलान्य रूर् से सभी प्रकलार क ववज्लार्िों   रलाष्टीर्-सलामलाशजक एवं सलांस्ृवतक आर्ोजि, खेल, सलामलाशजक-
                                                 े
               ू
         कला और खलास तौर र्र वलालणज्य-व्यलार्लार संबंधी ववज्लार्िों कला   सलांस्ृवतक  यिौिलारों  अथवला  आर्ोजिों,  आर्दलाओं,  ववदशी
                                                                                                              े
                            े
                                                        े
         अिषुवलाद ववशशटि प्रकलार क सज्यिलात्मक अिषुवलाद कम्य की अर्क्षला   अवत-ववशशटि ववभूवतर्ों क आगमि एवं जिसभलाओं को संबोधि,
                                                                                  े
                        े
         रखते िैं। अिषुवलाद क िवबग जैसे िए भलाषलार्ी रूर् िे शसिेमला और   अतररलाष्टीर् समझौतों एवं प्रोटोकोल और इसी तरि क अन्य
                            ं
                                                                ं
                                                                                                           े
                                        े
         टेलीववजि जैसे मलाध्यमों र्र ववज्लार्िों क अिषुवलाद को अयिशधक   अिेक घटिलाओं क वववरण आहद में अिषुवलाद की उर्ब्स्वत एवं
                                                                            े
         ववस्लार प्रदलाि नकर्ला िै। एक मूल भलाषला में तैर्लार ववज्लार्ि को   भूवमकला नकसी ि नकसी ि रूर् में बिी िजर आती िी िै। कल
                                                                                                              षु
                    े
         दश-ववदश क अिेकलािेक भलाषला-भलावषर्ों तक उिकी भलाषला में   वमललाकर र्िी अिषुमलाि लगलार्ला जला सकतला िै नक जिसंचलार क
          े
                े
                                                                                                                े
                                                   े
           ँ
         र्हुचिे कला जररर्ला बि जलातला िै, अिषुवलाद। ववज्लार्ि क अिषुवलाद   क्षेरि में अिषुवलादकवमर्ों क ललए रोजगलार की अर्लार संभलाविलाए िैं।
                                                                                  े
                                                                                                             ँ
                                                                              टि
          े
         क  ललए  अिषुवलादक  से  ववशेष  कौशल  तक  की  अर्क्षला  बिी   लगलातलार और तीव्र गवत से ववकशसत िो रिे इस क्षेरि में अिषुवलाद
                                                   े
         रिती िै। वलास्ववकतला र्ि िै नक ववशशटि ज्लाि-कौशल संर्न्न   कलार््य ि कवल हदि-प्रवतहदि ज्यलादला प्रवतवष्ठत और मित्व प्रलाप्त
                                                                      े
                   टि
         अिषुवलादकवमर्ों क ललए ववज्लार्ि और हिल्म जगत रोजगलार   करतला  जला  रिला  िै,  बब्कि  िवबग-सबटलाइटललग  और  वलार्स
                       े
                                                                                                    ं
                                                                                                             ॅ
                                                                                        ं
         की व्यलार्क संभलाविलाओं कला वि क्षेरि िै, जिलाँ इिकी बड़ी भलारी   ओवर आहद िए-िए रूर् ग्िण कर र्ला रूर्लांतरण जैसे मलाध्यम/
                                                े
         मलाँग िै। र्े सभी आर्लाम दशला्यते िैं नक इस प्रकलार क िए रूर्-रंग   ववधला र्ररवत्यि क रूर् में ववशशटि प्रकलार क अिषुवलाद कम्य क द्लारला
                                                                            े
                                                                                                            े
                                                                                               े
         में अिषुवलाद कलार््य एक बहुत बड़ला व्यवसलार् कला रूर् धलारण कर   ववस्लार भी र्लातला जला रिला िै।
                                         षु
          षु
         चकला िै, रोजगलार-प्रलाहप्त कला जररर्ला बि चकला िै।
                                                                                                        ु
                                                                                             n डॉ. हररीश कमार सठरी
                                                                                                              रे
                                               ्य
         नव-इलक्ट्ाडनक  माध्यम  और  अनुवाद:  शसि  इलेक्ट्लाॅनिक                  निदशक अिषुवलाद अध्यर्ि एवं प्रशशक्षण
                                                                                    े
                  ॅ
               रे
                                        टि
         मलाध्यम  िी  ििीं,  आज  अिषुवलादकवमर्ों  की  आवश्यकतला           ववद्यलार्ीठ इहदरला गलांधी रलाष्टीर् मक्त ववविववद्यलालर्
                                                                                                  षु
                                                                                  ं
       20
   15   16   17   18   19   20   21   22   23   24   25