Page 22 - आवास ध्वनि
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         ईविरचंद्र  ववद्यलासलागर,  बिरलाम  जी  मलबलारी,  मिलादव  गोववन्   भी  िलारी  की  दवमत,  शोवषत  एवं  दोर्म  दजवे  की  ब्स्वत  र्र
                                                                                   े
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         रलािला ि, स्वलामी वववेकलािंद, दर्लािंद सस्रवती, ज्योवतबला िले   गर्ला, उन्होंिे भी कववतला क सलाथ सलाहियि की आधनिक ववववध
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                                                          े
         जैसे समलाज सधलारकों िे िलारी-जीवि की ववववध समस्यलाओं क   ववधलाओं एकलांकी, िलाटक, निबंध, उर्न्यलास, किलािी आहद में िलारी
         प्रवत ध्यलाि कखन्द्त नकर्ला तथला उिसे िलारी को मषुशक्त वमले, इसक   क िवीिरुर् को अहभव्यक्त करिला प्रलारम्भ नकर्ला, सभी ववधलाओं
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                                                                े
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                                                                                 े
         ललए प्रर्लास प्रलारम्भ नकए। र्ररणलाम स्वरुर् अिेक कलािि बिे   में िलारी-सशशक्तकरण क ललए प्रर्लास प्रलारम्भ हुए, नकन् बदली
                                                                                                          षु
         शजसकला प्रभलाव िलाररर्ों र्र र्ड़िे लगला, स्वतंरितला आन्ोलि में   हुई  र्ररब्स्वतर्ों  क  अिषुरुर्  हिन्ी  कथला  सलाहियि  में  िलारी-
                                                                               े
         िलाररर्लाँ बढ़-चढ़ कर भलाग लेिे लगी, रलाजिीवतक आह्लाि िलारी   सशशक्तकरण र्र र्र्ला्यप्त बल हदर्ला गर्ला और आज भी हदर्ला
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                                                                                                       े
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         क व्यशक्तत्व ववकलास क ललए एक र्षुगलान्रकलारी घटिला क रुर्   जला रिला िै क्ोंनक कथला सलाहियि िी मलािव जीवि क सवला्यशधक
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         में सलामिे आर्ला। उिमें अर्िी अत्स्तला तथला अर्िे अशधकलारों क   निकट िोतला िै। र्ि घटिलाक्रम कला दृटिला और संग्लािक िी ििीं
                                                          े
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         प्रवत जलागृवत आिे लगी, स्वतंरितला आन्ोलि मे मिलात्मला गलांधी क   िोतला वरि् जीवि की व्यलाख्ला को भी लेखि में भर दतला िै। एक
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         कद र्ड़िे क बलाद तो िलाररर्ों की ब्स्वत में और भी सकलारलात्मक   सबसे मित्वर्ण्य कलार््य जो हिन्ी कथला सलाहियि कर रिला िै, वि
                                                                          ू
         र्ररवत्यि  आर्ला,  अब  वे  अर्िे  अत्स्त्व  की  सलारगहभतला  को   िै - िलारी की मलािव रुर् में प्रवतष्ठलार्िला।
                                                    टि
         र्िचलाििे लगीं।
                                                               ष्हन्री  कथा  साष्हयि  में  नाररी-सशर्तिकरण  क  र्वर्वध
                                                                                                        रे
         जब दश की रलाजिीवतक, सलामलाशजक एवं रलाष्टीर् संघष्य में स्तस्तर्ों   आयाम:-हिन्ी कथला सलाहियि मेें िलारी सशशक्तकरण से तलात्पर््य
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         की भलागीदलारी बढ़िे लगी, तब धीरे-धीरे एक िई िलारी कला जन्म   िै  नक  हिन्ी  कथला  सलाहियि  िलारी-सशशक्तकलाण  की  हदशला  में
         िोिे लगला। अर्िी बौलद्धक चेतिला क कलारण उसिे घर से बलािर   ऐसला क्ला कर रिला िै शजससे िलारी सशक्त िो। वि नकि-नकि
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                                                                           े
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         निकल कर सब कछ दखला-र्रखला और हिर वि उसमेें िस्क्षेर्   बलातों र्र बल द रिला िै जो र्षुरलातिर्ंथी िलारी को आधनिक मंच
                                                                                े
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         करिे लगी। 20वीं शतलाब्दी क प्रलारम्भ में िमलारे दश में िलारी-  र्र प्रवतवष्ठत कर सक? उसक उत्तर में किला जला सकतला िै नक
                                                                       ू
         जलागृवत की जो लिर आई थी, उसे दूसरे दशक में ऐिी बेसेन्ट,   प्रेमचन्द् र्व्य से प्रेमचंद र्षुग, प्रेमचंदोत्तर र्षुग तथला स्वलातंत्रोत्तर
         मलाग्यरेट  कला्ज़ीन्स,  सरोशजिीिलार्िू  जैसी  िहरिर्ों  िे  बल  प्रदलाि   र्षुग से आज तक हिन्ी कथला सलाहियि िलारी को सशक्त बिलािे
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                                                                                      े
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         नकर्ला।  िलारी  संगठि  बििे  लगे  और  जब  भलारत  को  आजलादी   क ललए इि बलातों र्र ध्यलाि कखन्द्त कर रिला िै - िलारी अत्स्तला
                                                                                                         े
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         वमली, तब िलारी-सशशक्तकरण क ललए संववधलाि में मित्वर्ण्य   की तललाश एवं उसकी सलाथ्यकतला, उसक व्यशक्तत्व क ववकलास
                                                                                                े
         संवैधलानिक  उर्बंधों  को  स्लाि  वमलला।  आज  तक  भी  िलारी   में बलाधक बििे वलाले र्रम्परलागत मूल्यों क प्रवत ववद्रोि, जीवि
                                                                                                े
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         सशशक्तकरण क ललए िमलारे दश की सरकलार तथला मित्वर्ण्य   द्न्द् एवं स्वतंरितला, अमलािवीर् अिलाचलारों क प्रवत ववद्रोि, समलाज
                                                                                                     े
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         संस्लाओं द्लारला सतत् प्रर्लास नकर्े जला रिे िैं।     में व्यलाप्त रुहढ़र्ों एवं करोवतर्ों को दूर करिे क ललए संघष्य,
                                                               सलामलाशजक-आशथक-रलाजिीवतक अव्यवस्ला क ववरुद्ध संघष्य।
                                                                            टि
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         सलाहियि को समलाज कला दर््यण किला जलातला िै, जैसला समलाज, वैसला
                                                                              े
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         सलाहियि। जब समलाज में िलारी की ब्स्वत बदली तो सलाहियि   र्िलाँ र्ि स्टि कर दिला आवश्यक िै नक हिन्ी कथला सलाहियि क
         में भी िलारी कला र्ररववतत रुर् हदखलाई र्ड़िे लगला। अभी तक   प्रलारस्तम्भक र्षुग अथला्यत् प्रेमचंद र्षुग में जब कथला सलाहियि कला
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                                                                                       े
                                   टि
         सलाहियि में र्वतव्रतला िलारी, आशथक रुर् से र्रलावलम्बी िलारी,   सृजि प्रलारम्भ हुआ, उस समर् क सलाहियिकलारों िे िलारी की जस
         र्लारम्पररक मूल्यों क िलाम र्र कटि भोगती िलारी, दवी, गृिलक्षी,   की तस ब्स्वत कला वण्यि नकर्ला तथला कट्टर सिलातिी र्रम्परला में
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         यिलागमर्ी जैसे मिलभलाविे ववशेषणों से लषुधि िलारी, र्लाररवलाररक   अर्िी  आस्ला  व्यक्त  की  अर्िे  कथला  सलाहियि  क  मलाध्यम  से
                                                                                      षु
         दलाशर्त्वों को निभलाते-निभलाते अर्िे अत्स्त्व को वमटला दिे वलाली   उन्होंिे र्ि मलान्यतला भी प्रस्त की नक र्लाचिलायि सभ्यतला और
                                                    े
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         िलारी, अशशक्ष्त िलारी, अर्िी अत्स्तला क प्रवत उर्क्षला भलाव रखिे   संस्ृवत ववष की खलाि िै जो भलारतीर् सभ्यतला और संस्ृवत र्र
                                                                                                      े
         वलाली िलारी, अर्िे अशधकलारों क प्रवत चेतिला शून्य िलारी आहद   द्यलातक प्रभलाव छोड़ रिी िै, भलारतीर् िलारी को उसक धम्य-कम्य से
                                  े
                                                                 षु
         जैसे रुर्ों कला वण्यि िो रिला थला। सलाहियिकलार सलाहियि में िलारी   च्त कर र्थभ्रटि कर रिी िंै लेनकि अिेक कथला सलाहियिकलारों
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         क इस प्रकलार क रुर्ों कला वण्यि करिला िी अर्िला कत्यव्य मलाि   में  एक  भलारतेन्षु  िररचिन्द्  ऐसे  सलाहियिकलार  थे  शजन्होंिे  अर्िे
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                                                                                                      े
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         रिे थे। र्षुिजला्यगरण क प्रभलाव के  कलारण सलाहियिकलारों कला ध्यलाि   अिषुहदत  उर्न्यलास  ‘र्वतीप्रकलाश’  और  चन्द्प्रभला  क  मलाध्यम  से
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